समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार 26 मार्च को कहा कि एक दलित को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ (जेएनयूएसयू) का अध्यक्ष चुना जाना पिछड़े वर्गों, दलितों और अल्पसंख्यकों की सामूहिक जीत है।
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में, यादव ने कहा, "पीडीए एकता ने सामूहिक रूप से जेनयू छात्रसंघ चुनावों में सभी महत्वपूर्ण पदों पर जीत हासिल की है और भाजपा समर्थित एबीवीपी को भारी अंतर से हराया है।"
बता दें कि यूनाइटेड लेफ्ट पैनल ने रविवार को जेएनयूएसयू चुनावों में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आरएसएस से जुड़े अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) को हराकर क्लीन स्वीप किया। लगभग तीन दशकों के बाद जेएनयूएसयू ने वाम समर्थित समूहों से अपना पहला दलित अध्यक्ष चुना। वाम दलों के प्रत्याशियों को कांग्रेस-सपा आदि का समर्थन था।
अखिलेश यादव ने कहा, ''जेएनयू के छात्रों की तरह, देश भर के युवा पार्टी के शासन में ''अभूतपूर्व बेरोजगारी'', ''व्यापक भ्रष्टाचार'', ''महंगी शिक्षा'' और महंगाई के कारण अपने परिवारों को भाजपा के खिलाफ वोट करने के लिए प्रोत्साहित करें।
उन्होंने युवाओं से मतदान केंद्रों पर फर्जी मतदान के प्रति सतर्क रहने का भी आह्वान किया। अखिलेश ने कहा कि ईवीएम की निगरानी करने की जरूरत है।''
लोकसभा चुनाव की तारीखें घोषित हो चुकी हैं। सात चरणों में होने वाले चुनाव का पहला चरण 19 अप्रैल को पूरा होगा। लेकिन नतीजे 4 जून को आएंगे। यूपी में सभी सात चरणों में चुनाव होंगे। यूपी में भाजपा का असली मुकाबला सपा से ही है। जबकि सपा और कांग्रेस का गठबंधन है। सपा ने अपने काफी प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं लेकिन कांग्रेस ने अभी तक चंद सीटों पर ही प्रत्याशी घोषित किए हैं। अमेठी और रायबरेली पर संशय बरकरार है।
जेएनयू छात्रसंघ चुनावों में वामपंथी पैनल की जीत के साथ, जेएनयू वामपंथी गढ़ होने की अपनी प्रतिष्ठा पर कायम रहा। एबीवीपी ने कांटे की टक्कर दी और शुरुआती रुझानों में सेंट्रल पैनल के सभी चार पदों पर बढ़त बनाए रही। ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) के धनंजय ने 2,598 वोट हासिल कर जेएनयूएसयू अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की, जबकि एबीवीपी के उमेश सी. अजमीरा को 1,676 वोट मिले।
यूनाइटेड लेफ्ट पैनल में AISA, डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन, स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन शामिल हैं।
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