2 अक्टूबर फिर आ धमका है। इस बार कुछ ख़ास है। इस बार के 2 अक्टूबर को 1869 के 2 अक्टूबर के 150 साल हो जाएँगे। किसी रहस्यमय तर्क से हम 25, 50, 60, 75, 100, 125, 150, 200 जैसी संख्याओं को अन्य संख्याओं के मुक़ाबले अधिक इज़्ज़त बख़्शते हैं। 100 रन बनाना एक उपलब्धि है, और 98 पर आउट हो जाने पर बैट्समैन को प्रशंसकों की सहानुभूति से ज़्यादा ग़ुस्सा झेलना पड़ता है। वह 100 जितना अपने लिए नहीं उतना उनके लिए हासिल करता है।
यदि ज़िंदा होते तो किसके साथ खड़े होते गाँधी?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 30 Jan, 2021

क्या 2 अक्टूबर गंदी आत्माओं का पर्व है? या उनका, जिनके हाथ भले तकली न हो, भले वे राम धुन न गा रहे हों, भले वे गाँधी का नामजाप भी न कर रहे हों, लेकिन जो हाँगकाँग में सरकार के ख़िलाफ़ अड़े हैं, जो अमेरिका में सरकार के आप्रवासियों पर हमले के ख़िलाफ़ लड़ रहे हैं, जो भारत में मुसलमानों पर हर हमले के ख़िलाफ़ उनके साथ खड़े हैं, जो कश्मीर की जनता की आज़ादी के हक़ में अपने ही देश का सामना कर रहे हैं?
2 अक्टूबर की तारीख़ हिंदुस्तान के लिए विशेष मानी जाती है। यह महात्मा गाँधी का जन्मदिन जो है। औरों का भी है। जैसे लालबहादुर शास्त्री का। लेकिन दिन तो गाँधी के नाम ही रह गया। अपने जीवन में कभी शास्त्रीजी ने इसकी शिकायत की हो, इसका रिकॉर्ड नहीं है। जन्मदिन गाँधी के जीवन में ही सार्वजनिक रूप से मनाया जाने लगा था। गाँधी ने ज़ोर देकर रोका हो ऐसा करने से अपने चाहनेवालों को, इसका पता नहीं।
सोचकर देखें तो आख़िर जन्मदिन में क्या ख़ास बात है! क्योंकि जिसका वह है, उसका कोई योगदान इसमें है नहीं। यह एक संयोग है। जन्म के बाद वह ख़ुद अपने साथ जो करता है, उसकी याद के लिए क्या उसका जन्मदिन ही याद किया जाना चाहिए?