कौशलेंद्र प्रपन्न नहीं रहे। दिल के दौरे के बाद अस्पताल में मौत से जूझते हुए उन्हें हार माननी पड़ी। लेकिन यह हार कोई उनकी हार नहीं है। मौत से शायद ही कोई जीत पाया है। कौशलेंद्र की मृत्यु तकनीकी रूप से दिल के दौरे के बाद की पेचीदगियों से हुई। इसके लिए किसी व्यक्ति या संस्था को किसी भी अदालत में ज़िम्मेवार नहीं ठहराया जा सकता। फिर भी कौशलेंद्र की मौत से जुड़े हुए सवाल हैं जिनका जवाब अगर हम न दें या अगर उनका सामना हम न करें तो मान लेना चाहिए कि दिमाग़ी तौर पर हम मृत हो चुके हैं।