क्या हमें मान लेना चाहिए कि 2020 का 5 अगस्त भारतीय गणतंत्र के पहले संस्करण का अवसान और दूसरे संस्करण का जन्म दिवस है? क्या इसकी चमक दमक 15 अगस्त की आभा को धूमिल कर देगी? या इसका उलटा होगा? यानी 15 अगस्त की तारीख़ हमें उन वायदों की याद दिलाती रहेगी जिनको लेकर हम अपनी प्रतिबद्धता दृढ़ नहीं रख पाए? उसी लापरवाही का नतीजा तो 5 अगस्त की तारीख़ है।
क्या मान लें कि 2020 का 5 अगस्त भारतीय गणतंत्र के दूसरे संस्करण का जन्म दिवस है?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 10 Aug, 2020

नेहरू ने गाँधी की विशेषता बताते हुए कहा था कि सबसे अद्भुत काम उन्होंने यह किया कि अंग्रेज़ी हुकूमत के भारत पर काबिज रहते हुए भी भारतीय खुद को आज़ाद महसूस करने लगे। भारतीयता का एक अर्थ निर्भीकता भी है। यह निडरता लेकिन उद्धतपन नहीं। यह निडरता हमेशा अपनी क़ीमत पर हासिल की जाती है, मेरी निडरता में हर किसी की निडरता शामिल है। मेरी स्वाधीनता दूसरे को किसी भी प्रकार हीन करना नहीं है। बल्कि अगर मेरे सामने कोई हीन महसूस करता है तो यह मेरा ही अपमान है।
यह ठीक ही है कि दोनों तारीख़ें आस-पास हैं। इससे दोनों के बीच तुलना आसान होगी। 15 अगस्त के साथ ढेर सारी स्मृतियाँ हैं। वह उनकी वारिस है और उनकी वाहक भी। यह एक नए राष्ट्र के जन्म की घोषणा से जुड़ी हुई है। जिसने सर उठाकर अपने आज़ाद और खुदमुख्तार होते वक़्त कहा कि उसका वजूद नफ़रत पर नहीं टिका है। जिसने अपने और पराए के भेद को ठुकराया और राष्ट्र को सबके लिए एक दावत, निमंत्रण में बदल दिया। याद कीजिए गाँधी की बात। उन्होंने कहा था कि जो यूरोपीय या अंग्रेज़ यहाँ रहना चाहते हैं, उनका स्वागत है और उनका अधिकार इस देश पर एक समान नागरिक का अधिकार होगा।