आज की दुनिया ऐसी है कि युद्ध कहीं भी हो, उसमें भले आपका-हमारा मुल्क लड़ न रहा हो, एक या दूसरी तरह आप उसमें शामिल रहते हैं। उसका असर हम पर पड़ता ही है। प्रत्यक्ष या परोक्ष। यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद भारत ने तटस्थता का रुख अपनाया।
रूस-यूक्रेन युद्ध: भारत की तटस्थता क्या उसकी कमजोरी दिखाती है?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 7 Mar, 2022

नरेंद्र मोदी नीत भाजपा सरकार ने अपने मतदाताओं को यह भरम दिला रखा है और वे इसमें विश्वास करते हैं कि वह उन्हें भारत पर वास्तविक अधिकार दिलाने के यज्ञ में व्यस्त है। इसलिए उसे बाकी सरकारों की तरह की साधारण सरकार न माना जाए। उससे वे माँगें न की जाएँ जो मनमोहन सिंह की सरकार से की जा सकती थीं। ऐसा करना इस सरकार का और इसके नेता का अपमान है।
भारत के हितैषी विशेषज्ञों ने इसे कुशल रणनीति बताकर इसकी प्रशंसा की। रूस हमारा पारम्परिक मित्र रहा है। रूस ही जंग के लिए हमें साजो सामान बेचता रहा है। हमें लड़ाकू जहाज़ों,आदि के लिए कलपुर्जे की ज़रूरत होती है, जो वही दे सकता है।
इसलिए इस वक्त हम यह कहकर कि वह हमलावर है, कि यह जंग नाजायज़ है, यह अपराध है, उसे नाराज़ नहीं कर सकते। यह हमारे रणनीतिकारों का मत है।