क्या रास्ता बचा हुआ है? और उसपर चलने को राही जो एक दूसरे के हमराह हों? पिछले हफ़्ते 5 राज्यों की नई विधान सभाओं के लिए हुए चुनावों के नतीजों की घोषणा के बाद धर्मनिरपेक्ष जन ख़ुद से यह सवाल कर रहे हैं।