स्वतंत्रता का दिन है। लेकिन आज भाव स्वतंत्रता का नहीं। न उल्लास का है। चारों तरफ़ से दबाए जाने का है। स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में अनिवार्य उपस्थिति का आदेश, अपने घर पर तिरंगा लगाकर उसकी फ़ोटो भेजने का आदेश, ज़बरन सबको सरकारी तिरंगा ख़रीदने का हुक्म। बिना पूछे सरकारी कर्मचारियों की तनख़्वाह से तिरंगा शुल्क काट लेना। जो घर तिरंगा न लगाए उसकी तस्वीर खींचने के लिए पड़ोसियों को उकसाना। एक निगाह का अहसास जो आपके राष्ट्रवाद को ताड़ रही है।