कुछ रोज़ पहले बांग्लादेश की एक अदालत ने सत्ताधारी अवामी लीग पार्टी के छात्र संगठन छात्र लीग से संबद्ध 20 छात्रों को मौत की सज़ा सुनाई और 5 अन्य को उम्र कैद की। इन पर 2019 में एक छात्र को पीट-पीट कर मार डालने का आरोप था। उस छात्र ने अवामी लीग सरकार के भारत के साथ जल समझौते के फैसले की आलोचना करते हुए एक 'पोस्ट' लिखी थी।
बहुसंख्यकवाद के ख़तरे पर पड़ोसी देश सख़्त, भारत उदासीन क्यों?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 31 Jan, 2021

पाकिस्तान और बांग्लादेश में सरकार, राजकीय संस्थानों और अदालतों का रवैया कम से कम हिंसा के मामले में समझौता विहीन है। लेकिन भारत में ऐसा होना अपवाद है। न सिर्फ पुलिस और प्रशासन बल्कि अदालत भी अगर ऐसी हिंसा के पक्ष में नहीं तो उदासीन ज़रूर दिखलाई पड़ती है।
यह सज़ा ढाका की तीव्र गति से मुकदमा देखने वाली अदालत ने सुनाई और न्यायाधीश ने कहा कि इन अभियुक्तों को सबसे बड़ी सज़ा दी गई है ताकि ऐसा नृशंस अपराध आगे दुहराया न जा सके।
"अगर अपराध की गंभीरता का तकाजा हो तो हमें इन्साफ की तलवार को पूरे ज़ोर से और आखिर तक इस्तेमाल करने में हिचकिचाना नहीं चाहिए", निर्णय सुनाते हुए न्यायाधीश अबू ज़फ़र मोहम्मद करीउज़्ज़मा ने कहा।