'राम, राम!' सुबह की सैर में यूनिवर्सिटी रोड पर विश्वविद्यालय के मुख्य दफ़्तर के द्वार के पास एक कसरती बदन नौजवान के बगल से गुजरा तो उसने लगभग होठों में ही यह अभिवादन किया। अस्फुट लेकिन मेरे कानों ने उसे पकड़ लिया। 'राम, राम', मैंने उत्तर दिया। आगे रामजस कॉलेज के पास पहुँचा तो एक सफाईकर्मी महिला सामने से आती दीखी। चेहरे पर अकारण लेकिन कितनी स्वाभाविक मुस्कुराहट।
बाबरी मसजिद ध्वंस: एक भारत 6 दिसंबर, 1992 के पहले का है और एक इसके बाद का
- वक़्त-बेवक़्त
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- 6 Dec, 2022

राम-राम जहाँ रिश्ता बनाने का बेतकल्लुफ न्योता था तो 'जय श्री राम' उस रिश्ते को चूर-चूर कर देनेवाला हथौड़ा। 'जय श्री राम' का क्या अर्थ है यह बाबरी मसजिद तोड़े जाते वक्त इस नारे की चिल्लाहट से आप समझ सकते हैं। बाबरी मसजिद जो 'जय श्री राम' के हमले में गिराई गई, उसके मलबे में कहीं 'राम-राम' दफन हो गया।
करीब आने पर उसने अपरिचय की परवाह किए बिना कहा, 'राम, राम!' 'राम, राम!' मैंने अपरिचय की दूरी को पाटने का प्रयास करते हुए जवाब दिया। बिना रफ़्तार कम किए।
सोचता हुआ आगे बढ़ा कि क्यों मुझे उन दोनों को धन्यवाद कहने का जी चाहा। क्यों यह अभिवादन मुझे कुछ अस्वाभाविक लगा? क्यों यह लगा कि यह किसी गुजरे ज़माने से होता हुआ मेरे कानों तक पहुँच रहा है? वह बीत गया वक़्त कौन सा था?