इस स्तंभ की ज्यादातर कड़ियों का विषय मुसलमान विरोधी हिंसा रहा है। बल्कि यह आरोप भी लगाया जा सकता है कि पिछले कुछ वर्षों में इन पंक्तियों के लेखक ने जो कुछ भी लिखा है, उसका बहुलांश भारत में बढ़ती हुई मुसलमान और ईसाई विरोधी हिंसा से ही संबंधित है। कई मित्रों को यह दुहराव लगता है और बहुतों को इससे ऊब होती है।