भारत में प्रत्येक घंटे में एक मौत दहेज़ की वजह से होती है। वाक्य अधूरा है। भारत में हर घंटे एक औरत की मौत होती है। इस वाक्य को भी सुधारकर यों लिखा जाना चाहिए : भारत में दहेज़ की वजह से लगभग हर घंटे एक औरत की हत्या कर दी जाती है।
क्या अभिजात समाज दहेज हत्या को अपनी त्रासदी मानेगा या एक इत्तफ़ाक़?
- वक़्त-बेवक़्त
- |
- |
- 28 Jun, 2021

यह एक खुला रहस्य है कि जिन्हें भारत के सबसे प्रतिभाशाली, कुशाग्रबुद्धि माना जाता है, वे प्रशासन या पुलिस की सेवा में प्रवेश करते वक़्त या उसके तुरत बाद एक जुर्म प्रायः करते ही हैं। वह है दहेज़ लेना। इसमें उन्हें कोई शर्म भी नहीं।
इस आँकड़े से शिक्षित समाज की नींद उड़ जानी चाहिए, लेकिन ऐसा होता नहीं है। इस तथ्य पर ध्यान दिलाने के लिए आँकड़े को ख़बर बनना पड़ता है।
एक हफ़्ता पहले केरल में एक के बाद एक 3 औरतों की हत्या या मृत्यु की ख़बर ने वापस इस आँकड़े को देखने को मजबूर किया। लेकिन क्या हम लिख सकते हैं कि इन हत्याओं ने केरल के सुशिक्षित हृदय को विचलित किया होगा? उसका दिल हिला देने की बात तो अतिशयोक्ति ही होगी। ये सारी मौतें दहेज़ के चलते प्रताड़ना के कारण हुई हैं, यह बताया गया है।