"हमारे साथ जातिवाद सवारी नहीं करता है।" अध्यापक गौरव सबनीस ने, जो अमेरिका में रहते हैं, ट्विटर पर इस इबारत वाले पोस्टर की तसवीर लगाई। यह पोस्टर न्यू जर्सी और न्यूयॉर्क को जोड़ने वाली ट्रेन में लगाया गया है। न्यू जर्सी में भारतीय अच्छी-खासी संख्या में रहते हैं। वे इस ट्रेन से आते-जाते हैं। देवनागरी लिपि और हिंदी भाषा में इस घोषणा के साथ कि इस ट्रेन में जातिवाद सवारी नहीं करता, आगे सवारियों को चेतावनी दी गई है कि इस ट्रेन सेवा का संचालक यानी 'द पोर्ट अथॉरिटी ऑफ़ न्यू जर्सी एंड न्यूयॉर्क पाथ' भेदभाव और नफ़रत को बर्दाश्त नहीं करेगा।
जातीय अभिमान को कब तक ढोते रहेंगे भारतीय?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 1 Nov, 2021

अमेरिका हो या यूरोप, भारतीय प्रायः अपनी जाति साथ लेकर चलते हैं। एक सर्वेक्षण से सिद्ध हुआ कि यह काफी गहरा है। यह शायद सिर्फ हिंदुओं तक सीमित नहीं है। हम जानते हैं कि भारत में मुसलमान हों या ईसाई या सिख, जातिगत भेदभाव हर जगह है। यह भेदभाव इसलिए है कि लोग खुद को किसी एक जाति का मानकर उस पर गर्व करते हैं और उसे संरक्षित और पोषित करना चाहते हैं।
इस तसवीर को देखकर भारतवासियों के मन में, विशेषकर जो खुद को हिंदी भाषी कहते हैं, मिले-जुले भाव पैदा होंगे। अमेरिका की रेलवे सेवा में हिंदी का प्रयोग देखकर कुछ लोगों का सीना गर्व से फूल उठना चाहिए।
पोस्टर से नाराज़गी
हिंदी विभागों में प्रायः 'विश्व में हिंदी' जैसे विषय पर जो विचार गोष्ठियाँ होती हैं, उनके लिए यह एक और उदाहरण हो सकता है कि हिंदी का भारत के बाहर कितना प्रसार हो रहा है! लेकिन ज़्यादातर लोग इसे देखकर कुपित हो उठे। क्योंकि हिंदी का इस्तेमाल जो बतलाने के लिए एक अमेरिकी संस्था कर रही है, उसे भारतीय लोग राष्ट्रीय हित में गोपनीय रखना चाहेंगे।