कुछ वर्ष पहले की बात है। अचानक मुझे 'वर्ल्ड ब्राह्मण कॉउंसिल' नामक संस्था से ईमेल आने लगी। फिर एक फोन आया। यह किसी दिसंबर की बात है। फोन करने वाले ने बतलाया कि आने वाली जनवरी के पहले हफ्ते में वे 'रन फ़ॉर वेदाज़' का आयोजन करना चाहते हैं और इसी सिलसिले में उन्होंने मुझे फ़ोन किया है। वेदों के लिए दौड़ने की बात कुछ अटपटी लगी। स्वास्थ्य के लिए दौड़ना समझ में आता है। पिछले कुछ वर्षों से देखता हूँ, कुछ सामाजिक मसलों के लिए दौड़ होने लगी है।
रन फ़ॉर वेदाज़: ज्ञान हासिल करने के लिए बैठें या दौड़ें?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 25 Oct, 2021

देश के सभी शिक्षा केंद्रों में अब वैसे वेद प्रेमियों का बोलबाला है जो वेद के लिए दौड़ लगा देंगे लेकिन बैठने के नाम पर उनके प्राण सूख जाएँगे। इन 7 वर्षों में एक भी ऐसा ग्रंथ प्रकाशित नहीं हो पाया जिससे वेद की महिमा बढ़े।
'रन फ़ॉर यूनिटी'!
दौड़ के जरिए जनजागरण किया जाता है या लोगों को उस विषय को लेकर जागरूक बनाया जाता है। इस सरकार के आने के बाद 2014 में अपने तत्कालीन कुलपति को 31 अक्टूबर को दौड़ लगाते देखा। ध्यान गया सरदार पटेल की जयंती है। सरकार ने उस दिन एकता के लिए दौड़ने के लिए कहा था। 'रन फ़ॉर यूनिटी'!