संयुक्त किसान मोर्चा ने योगेंद्र यादव को एक महीने के लिए अपने बीच से बाहर कर दिया है। इस एक क़दम ने मोर्चे की नैतिक आभा धूमिल कर दी है। योगेंद्र यादव को निलंबित करने के लिए मोर्चे ने जो कारण दिया है, वह हिंसा के प्रश्न पर मोर्चे की स्थिति को कमजोर करता है। कारण है लखीमपुर खीरी में मारे गए बीजेपी कार्यकर्ताओं में से एक के घर पर जाकर उसके परिजनों से मिलना।
लखीमपुर: योगेंद्र यादव का मृतक बीजेपी कार्यकर्ता के घर जाना मानवीय क़दम
- विचार
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- 23 Oct, 2021

मृतक के परिवार से मिलने के लिए योगेंद्र यादव ने मोर्चे से अनुमति नहीं ली थी। उसे सूचित भी नहीं किया। लेकिन मिलने गए, इस बात को छिपाया नहीं। मृतक के परिवार के शोक में शामिल होना मानवीयता गढ़ने का प्राथमिक कदम है। मोर्चे ने इससे खुद को अलग करके अपना दावा कमजोर किया है।
लखीमपुर में बीजेपी कार्यकर्ताओं द्वारा किसानों पर गाड़ी चढ़ा देने के कारण कई किसान मारे गए। एक पत्रकार को भी मार डाला गया।
घटना स्थल पर किसानों ने गुस्से में बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हमला कर दिया और उनमें से तीन पीट-पीटकर मार डाले गए। किसानों पर गाड़ी चढ़ाकर उन्हें कुचल देने में सत्ता का फूहड़ और सामंती अहंकार था, जो बीजेपी की विशेषता है।