यह शर्म की बात है कि पिछले कुछ हफ़्तों से बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के कुछ छात्र संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संस्थान में डॉक्टर फ़िरोज़ ख़ान की नियुक्ति के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे हैं और विश्वविद्यालय का शिक्षक समुदाय इस पर ख़ामोश है। डॉक्टर ख़ान के पक्ष में बोलने से ज़्यादा ज़रूरी इस वीभत्स आंदोलन के ख़िलाफ़ बोलना है। वह इसलिए कि डॉक्टर ख़ान का विरोध सिर्फ़ इस वजह से किया जा रहा है कि वह हिंदू नहीं हैं। संस्थान के अध्यक्ष और विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया है कि डॉक्टर ख़ान की नियुक्ति सारी प्रक्रियाओं का पालन करके की गई है लेकिन फिर भी आंदोलन जारी है।
बीएचयू: मुसलिम शिक्षक के विरोध पर आख़िर क्यों चुप हैं लोग?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 18 Nov, 2019

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में डॉक्टर फ़िरोज़ ख़ान की नियुक्ति के ख़िलाफ़ आंदोलन चल रहा है। विश्वविद्यालय स्पष्ट कर चुका है कि डॉक्टर ख़ान की नियुक्ति सारी प्रक्रियाओं का पालन करके की गई है लेकिन आंदोलनकारी मानने को तैयार नहीं हैं। तकलीफ इस बात की है कि विश्वविद्यालय का शिक्षक समुदाय इस पर ख़ामोश है। डॉक्टर ख़ान के पक्ष में बोलने से ज़्यादा ज़रूरी इस आंदोलन के ख़िलाफ़ बोलना है।
आंदोलन सकारात्मक शब्द है। अभी जो बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में हो रहा है, उसे हुड़दंग कहना अधिक मुनासिब होगा। इस हुड़दंग में कुछ ही छात्र शामिल हैं लेकिन इसकी चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है। छात्रों का कहना है कि वे धर्म विज्ञान पढ़ते हैं, चुटिया रखते हैं, गुरु के चरण स्पर्श करते हैं। कुल मिलकर यह कि वे एक ख़ास तरह के हिंदू हैं और किसी ग़ैर हिंदू का स्पर्श भी उनके धर्म को दूषित कर देता है।