यह शर्म की बात है कि पिछले कुछ हफ़्तों से बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के कुछ छात्र संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संस्थान में डॉक्टर फ़िरोज़ ख़ान की नियुक्ति के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे हैं और विश्वविद्यालय का शिक्षक समुदाय इस पर ख़ामोश है। डॉक्टर ख़ान के पक्ष में बोलने से ज़्यादा ज़रूरी इस वीभत्स आंदोलन के ख़िलाफ़ बोलना है। वह इसलिए कि डॉक्टर ख़ान का विरोध सिर्फ़ इस वजह से किया जा रहा है कि वह हिंदू नहीं हैं। संस्थान के अध्यक्ष और विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया है कि डॉक्टर ख़ान की नियुक्ति सारी प्रक्रियाओं का पालन करके की गई है लेकिन फिर भी आंदोलन जारी है।