देश में ‘कश्मीर फाइल्स’ नाम की एक फ़िल्म की चर्चा है। फिल्म का दावा है कि यह 1990 में कश्मीरी पंडितों के कश्मीर से विस्थापित होने की कहानी और दर्द को बयान करती है। इतिहास के तथ्यों को तोड़कर बनाई गई यह फिल्म अपने साथ मुसलिम-विरोधी भावनाओं को भड़काने का काम कर रही है। प्रधानमंत्री और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत भी इस फिल्म की वकालत कर चुके हैं बिना यह जाने कि यह फिल्म मुसलिमों के ख़िलाफ़ देश में माहौल को कुछ इस तरह बना रही है मानो कश्मीरी पंडितों के पलायन के पीछे कश्मीर सहित भारत के तमाम अल्पसंख्यक मुसलमान शामिल थे। ‘प्रायोजित उत्तेजनावश’ कुछ लोग फ़िल्म थिएटर्स में मुसलमानों के खिलाफ़ अपशब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर फिल्म खुलेआम जिन्ना की ‘चिंता’(जिन्ना को लगता था कि मुसलमान बहुसंख्यक हिंदुओं के बीच असुरक्षित रहेंगे) को सत्य साबित कर रही है तो इसका मतलब है कि यह फिल्म नहीं बल्कि राष्ट्र के विभाजन का साजो-समान है।
‘कश्मीर फाइल्स’: गांधी की हिन्दू-मुसलिम एकता में जहर घोलने की कोशिश?
- विमर्श
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- 20 Mar, 2022

महात्मा गांधी ने हमेशा हिंदू-मुसलिम एकता की वकालत की। इसी वजह से उनको अपनी जान गँवानी पड़ी। लेकिन गांधी के सपने को क्या सांप्रदायिक नफ़रत से तोड़ने की कोशिश की जा रही है? द कश्मीर फाइल्स फिल्म को कैसे देखा जाएगा?
चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करना और राष्ट्र का वास्तविक प्रतिनिधित्व करना दो अलग बातें हैं। कोई ज़रूरी नहीं कि किसी देश के लोकतंत्र की बढ़ती आयु उसमें परिपक्वता को जन्म दे ही दे। कम से कम आज तो यही प्रतीत हो रहा है।