आज़ादी के पहले ही, चालीस के दशक में भारत भीषण अकाल झेल चुका था। करोड़ों भारतीयों की मौत औपनिवेशिक नीतियों के चलते आए अकालों के कारण हो चुकी थी। इसके बाद जब 15 अगस्त 1947 को देश आज़ाद हुआ तो देश को दो महत्वपूर्ण चुनौतियों से लड़ना था। आज़ाद भारत की पहली चुनौती थी, 200 सालों की ग़ुलामी से उत्पन्न हुए ‘आर्थिक शोषण’ से निपटना और दूसरी चुनौती थी देश की उन विभाजनकारी ताक़तों से लड़ना जो भारत के विभाजन के साथ-साथ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या के भी ज़िम्मेदार थे।