भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी कैग (CAG) की रिपोर्ट बिहार विधानसभा में मार्च, 2022 को रखी गयी। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य क्षेत्र में बिहार की बदहाली की कहानी बताती है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के 'जंगलराज' से लोगों को बचाने का सपना दिखाकर सत्ता में आये नीतीश कुमार पाँचवीं बार 2020 में मुख्यमंत्री बने थे। 16 सालों तक लगातार मुख्यमंत्री रहने के बावजूद प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था को वो अब भी पुराने ‘जंगलराज’ से नहीं उबार पाए हैं। या यह कहना उचित होगा कि वास्तविक 'जंगलराज' उनकी और उनके नेतृत्व वाली सरकारों की व्यक्तिगत अक्षमता का प्रतीक बन गया है।
16 साल से नीतीश मुख्यमंत्री लेकिन स्वास्थ्य में बिहार सबसे फिसड्डी!
- विमर्श
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- 3 Apr, 2022

देश के दो बड़े राज्यों- उत्तर प्रदेश और बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था क्यों चरमराई है? जिस बिहार में नीतीश कुमार 16 साल से मुख्यमंत्री हैं वहाँ अस्पताल इतनी ख़राब हालत में क्यों हैं?
कैग रिपोर्ट, वित्तीय वर्ष 2019-20 के अनुसार बिहार के पास आये कुल राजस्व का मात्र 27.25% ही राज्य के प्रयासों से आया है जबकि बाक़ी 72.75% राजस्व केंद्र के खाते से राज्य के पास पहुंचा है। बेहद लचर स्वास्थ्य व्यवस्था ही थी जिसके कारण बिहार में 3 लाख 88 हजार नागरिक कोविड-19 की वजह से मर गए (लांसेट रिपोर्ट)। परंतु सरकारी आंकड़ों में मौत की यह संख्या मात्र 12 हजार ही है। यदि किसी को समझने में संदेह हो रहा हो कि सरकारी आंकड़ा सही है या लांसेट की रिपोर्ट का, तो यह संदेह दूर करने में कैग की रिपोर्ट मदद कर सकती है। 2019-20 की कैग की यह रिपोर्ट कोरोना काल शुरू होने से पहले ही राज्य के स्वास्थ्य ढांचे में विद्यमान कमियों को उजागर करती है।