यदि हम जानने की कोशिश करें कि किसान अपने पेड़ों की छटनी करते, फ़सलों को बोते और अन्न को संजोते समय अंधेरे और उजाले पक्ष का भेद क्यों रखता है, तो हम यह भी समझ जायेंगे कि सूर्य सोखा हुआ जलरस वापस लौटाता है। चन्द्रमा अन्न समेत समस्त जीवितों में रस भरने का काम करता है। वायुमण्डल जितना मोटा होगा, उतना गर्म होगा; सूर्य उतना कम जलरस लौटाएगा। चन्द्रमा को सूर्य से प्राप्त श्वेत रश्मियों के मार्ग में श्याम छायायें जितनी ज़्यादा होती जायेंगी, रस भरने की चन्द्रशक्ति उतनी कम होती जाएगी; उत्पादन उतना कम रस, गंध व स्वादयुक्त होगा।
कहीं पृथ्वी ख़त्म न हो जाये…
- विविध
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- 3 Oct, 2021

मौसम अब असमान्य व्यवहार क्यों कर रहा है? तापमान क्यों बढ़ता जा रहा है और पेड़ों की कटाई व बेतरतीब औद्योगीकरण का क्या असर हो रहा है? क्या धरती ऐसे बोझ का सहन कर पाएगी?
दर्ज इतिहास के अनुसार, सूर्य व चन्द्रमा के लिए यह चुनौती सबसे पहले पृथ्वी के शुरुआती तीन से चार बिलियन वर्षों के दौरान वर्तमान कनाडा और इटली में जागे ज्वालामुखियों से निकले लावे और धुएं ने किया। आज तो एक ही वर्ष में 70-70 ज्वालामुखी फट रहे हैं। हम अपने वायुमण्डल को हर रोज धूल, धुआं, नुक़सानदेह गैसों व अन्य ठोस कणों से भर निरन्तर मोटा व असंतुलित कर रहे हैं। जल और वायु तो बदलेंगे ही।