उत्तराखंड राज्य बने 20 वर्ष, 06 महीने से अधिक हो गए। गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग इससे भी पुरानी है; 1960 के दशक की। गौर कीजिए कि गैरसैंण, गढ़वाल और कुमाऊं की सीमा पर स्थित है। दोनों मंडल के लोगों को सहूलियत होगी। इसी तर्क के आधार पर गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग की जाती रही है। उत्तराखंड क्रांति दल ने तो 25 जुलाई, 1992 को ही गैरसैंण को राजधानी घोषित कर दिया था। उत्तराखंड क्रांति दल के संस्थापक काशी सिंह ऐरी के हाथों शिलान्यास भी करा दिया था।
...तो इसलिए नहीं होनी चाहिए गैरसैंण उत्तराखंड की राजधानी
- उत्तराखंड
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- 28 Mar, 2021

उत्तराखंड राज्य बने 20 वर्ष, 06 महीने से अधिक हो गए। गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग इससे भी पुरानी है; 1960 के दशक की।
वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली भी उन लोगों में शामिल थे, जिन्होंने गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग की थी। वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली, पठानों पर गोली चलाने से इनकार कर देने वाले पेशावर काण्ड के नायक थे। अतः वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली के नाम पर गैरसैंण का नाम चन्द्र नगर घोषित कर दिया गया।