ग्लेशियर हो या इंसान, रिश्ते हों या चट्टान, यूं  ही नहीं दरकता कोई। किसी पर इतना दवाब हो जाए कि वह तनाव में आ जाए अथवा उसका पारा इतना गर्म हो जाए कि उसकी नसें इसे झेल न पाएँ, तो वह टूटेगा ही। किसी के नीचे की ज़मीन खिसक जाए, तो भी वह टूट ही जाता है। चमोली में यही हुआ है।