उत्तराखंड के अधिकतर ज़िलों में राज्य से बाहर के लोगों पर ज़मीन ख़रीदने पर पाबंदी लगाने की तैयारी क्यों है? यह भी उस बीजेपी की सरकार ऐसा कर रही है जिसने जम्मू कश्मीर में पाबंदी होने पर हंगामा खड़ी करती रही थी। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को ख़त्म किए जाने के बाद बीजेपी दावे करती रही कि देश के लोग अब पूरे देश में कहीं भी ज़मीन ख़रीद या बेच सकते हैं। यही बीजेपी क्या उत्तराखंड में इसका उलटा करना चाहती है?
दरअसल, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी राज्य में ऐसा क़ानून लाना चाहते हैं जिसमें राज्य के अधिकतर ज़िलों में बाहरी व्यक्ति ज़मीन ख़रीद-बेच नहीं सके। धामी मंत्रिमंडल ने एक दिन पहले ही एक ऐसे मसौदे को मंजूरी दी है जो राज्य के 13 ज़िलों में से 11 में कृषि और बागवानी की ज़मीन ख़रीदने पर राज्य के बाहर के लोगों पर प्रतिबंध लगाता है। इस मसौदे को विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र में पेश किया जाएगा।
एक ट्वीट में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया है। उन्होंने अपनी सरकार को राज्य, संस्कृति और मूल स्वरूप की रक्षक क़रार दिया है। उन्होंने कहा, 'प्रदेश की जनता की लंबे समय से उठ रही मांग और उनकी भावनाओं का पूरी तरह सम्मान करते हुए आज (बुधवार को) कैबिनेट ने सख्त भू-कानून को मंजूरी दे दी है। यह ऐतिहासिक कदम राज्य के संसाधनों, सांस्कृतिक धरोहर और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा, साथ ही प्रदेश की मूल पहचान को बनाए रखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।'
उन्होंने आगे कहा है, 'हमारी सरकार जनता के हितों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और हम कभी भी उनके विश्वास को टूटने नहीं देंगे। इस निर्णय से यह स्पष्ट हो जाता है कि हम अपने राज्य और संस्कृति की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे। निश्चित तौर पर यह कानून प्रदेश के मूल स्वरूप को बनाए रखने में भी सहायक सिद्ध होगा।'
उत्तराखण्ड के मूल स्वरूप को बनाए रखने के लिए सख़्त भू-क़ानून को कैबिनेट ने किया मंज़ूर..#Uttarakhand pic.twitter.com/rrzt9NB1Tl
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) February 19, 2025
क्या है मौजूदा नियम, प्रस्तावित बदलाव?
उत्तराखंड में मौजूदा नियम के अनुसार राज्य के बाहर के लोग नगर निगम सीमा के बाहर बिना अनुमति 250 वर्ग मीटर तक ज़मीन खरीद सकते हैं, जबकि राज्य के स्थायी निवासियों के लिए कोई सीमा नहीं है। लेकिन नये मसौदे में अब कई बदलाव के प्रस्ताव रखे गए हैं।
यदि नया मसौदा क़ानून पारित हो जाता है तो नया मसौदा क़ानून 2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार के सभी प्रावधानों को निरस्त कर देगा।
रावत सरकार ने नगर निगम क्षेत्रों के बाहर भूमि ख़रीद पर 250 वर्ग मीटर की सीमा को हटा दिया था। विरोध के बाद धामी सरकार ने 2022 के विधानसभा चुनावों के बाद सीमा को फिर से लागू कर दिया।
उत्तराखंड में ज़मीन से जुड़ा क़ानून विवादों में रहा है
उत्तराखंड में राज्य के बाहर के लोगों द्वारा ज़मीन की ख़रीद से जुड़े क़ानून में कई बार बदलाव किया जा चुका है। दरअसल, यह क़ानून 2000 में इसके गठन के बाद से ही एक विवादास्पद मुद्दा रहा है। समय-समय पर राज्य के लोगों का हवाला देते हुए कहा जाता रहा है कि जनसांख्यिकीय बदलावों को रोकने के लिए सख्त भूमि कानूनों की मांग की जाती रही है। इसी को लेकर बार-बार क़ानूनों में बदलाव किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार 2003 में कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी ने उत्तराखंड के बाहर के लोगों द्वारा पहाड़ी क्षेत्रों में ज़मीन खरीद पर पहली बार लिमिट तय की। तब यह लिमिट 500 वर्ग मीटर थी। बीसी खंडूरी की भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में भी इस लिमिट को घटाकर 250 वर्ग मीटर कर दिया गया। बीजेपी के ही नेता रावत ने बाद में इस प्रतिबंध को पूरी तरह से हटा दिया।
इस बीच, कांग्रेस ने कहा था कि त्रिवेंद्र रावत के संशोधन को ख़त्म करने से यह पता चलता है कि कैसे बीजेपी ने अपने कार्यकाल के दौरान बाहरी लोगों को राज्य को लूटने में मदद की। राज्य कांग्रेस भी हिमाचल की तरह सख़्त क़ानून के पक्ष में रही है। हिमाचल में जो किसान नहीं हैं वे स्वतंत्र रूप से कृषि ज़मीन नहीं खरीद सकते। हालाँकि, सरकार की अनुमति से उद्योग, पर्यटन या बागवानी जैसे खास मक़सदों के लिए ज़मीन का अधिग्रहण किया जा सकता है।
जम्मू कश्मीर में ज़मीन खरीद का मुद्दा क्यों उठाती रही है बीजेपी?
बीजेपी अगस्त 2019 से पहले जम्मू कश्मीर में बाहरी लोगों के लिए ज़मीन ख़रीद पर रोक होने का मुद्दा बनाती रही थी। जम्मू-कश्मीर में जब अनुच्छेद 370, 35ए लागू था तब बाहर का कोई निवासी वहां पर जमीन नहीं खरीद सकता था। लेकिन जब से जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया और अनुच्छेद 370 को हटाया गया, तब से कोई भी वहां जमीन खरीद सकता है। बीजेपी और इसके समर्थक तब से उछल-उछल कर यह बताते फिरते रहे हैं कि देश का निवासी पूरे देश में कहीं भी स्वतंत्र रूप से ज़मीन ख़रीदने बेचने के लिए स्वतंत्र है। हालाँकि, रिपोर्टें तो आती रही हैं कि ऐसा होने के बावजूद जम्मू कश्मीर में बाहर के लोग ज़मीन ख़रीदने वाले गिने-चुने ही हैं। 2022 में सरकार ने संसद में बताया था कि 34 लोगों ने ऐसी संपत्तियाँ खरीदीं, वह भी जम्मू, रियासी, उधमपुर और गांदरबल जिलों में ही।
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