दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 पर चर्चा का जवाब देते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ''यह बिल संविधान की धारा 239-एए 3 बी के अनुसार संसद की निहित शक्तियों के भीतर निहित है। अगर आप राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश में अंतर नहीं जानते हैं तो मुझे लगता है कि संविधान का फिर से अध्ययन करने की ज़रूरत है।'' बिल्कुल; उक्त अंतर व दिल्ली नगर निगम ही नहीं, दिल्ली की सम्पूर्ण शासन व्यवस्था को लेकर संविधान का फिर से अध्ययन करने की ज़रूरत हम सभी को है। संविधान की धाराओं, संशोधनों और उनकी मूल भावनाओं का ठीक से अध्ययन न किए जाने का ही नतीजा है कि दिल्ली में आज एक ऐसी अधकचरी और अस्पष्ट त्रिस्तरीय शासन व्यवस्था है, जिसमें एक-दूसरे के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप ही हस्तक्षेप हैं; विवाद ही विवाद हैं; सवाल ही सवाल हैं।
दिल्ली: निगमों के एकीकरण का विवाद क्यों, वजह अधकचरी शासन व्यवस्था?
- दिल्ली
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- 6 Apr, 2022
दिल्ली की सम्पूर्ण शासन व्यवस्था कितनी संवैधानिक है? आख़िर क्यों तर्क दिया जा रहा है कि दिल्ली के तीन निगमों का एकीकरण होने से कामकाज में पारदर्शिता आएगी?

सवाल यह भी है कि वार्डों के परिसीमन समेत नगर निगम संचालन संबंधी किसी शक्ति का किसी एक प्रशासनिक हाथों में सौंप देना, ‘जनता की, जनता के लिए, जनता के द्वारा’ संचालित किसी भी जनप्रतिनिधि सभा की संवैधानिक व लोकतांत्रिक भावना के कितना अनुकूल है?