जमानत पर चल रहे विवादित साधू यति नरसिंहानंद ने आज फिर एक महापंचायत में हिन्दुओं से मुसलमानों के खिलाफ हथियार उठाने को कहा। इस शख्स ने हरिद्वार में ऐसी ही धर्म संसद आयोजित की थी। जिसमें उसने मुसलमानों के नरसंहार की अपील की थी। इसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। फिर वो जमानत पर बाहर आ गया। जमानत पर आने के बाद उसने फिर नफरत फैलाने वाला भाषण दिया। उसके समर्थकों ने रविवार को इस महापंचायत को कवर करने गए पत्रकारों से बदसलूकी की। पुलिस ने कोई कार्रवाई करने की बजाय पत्रकारों को हिरासत में ले लिया। हालांकि पुलिस ने हिरासत में लेने वाली बात से इनकार किया है।यति नरसिंहानंद जब नफरती भाषण दे रहा था तो वहां दिल्ली पुलिस की पीसीआर मौजूद थी। दिल्ली पुलिस को मालूम भी है कि यह शख्स ऐसे ही मामले में जमानत पर है। पुलिस यह भी मानती है कि इस कार्यक्रम को अनुमति नहीं थी, फिर भी उसने कार्रवाई नहीं की।
यह विवादित साधू खुद को गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर का प्रधान पुजारी बताता है। उसने रविवार को कहा कि अगर हिन्दुओं ने हथियार नहीं उठाया तो भारत में मुस्लिम प्रधानमंत्री आ जाएगा। आप में से 50% हिंदू अगले 20 वर्षों में अपना धर्म बदल लेंगे। यति ने दिल्ली के बुराड़ी मैदान में रविवार को यह नफरती बयान दिया। उस हिन्दू महापंचायत में करीब 200 लोग जमा हुए थे।
कार्यक्रम का आयोजन सेव इंडिया फाउंडेशन के संस्थापक प्रीत सिंह ने किया। यह प्रीत सिंह वही है, जिसने पिछले साल जंतर मंतर पर एक कार्यक्रम आयोजित किया था, उसमें मुस्लिम विरोधी नारे लगाए गए थे। उसे उस मामले के सिलसिले में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था और फिलहाल वह जमानत पर बाहर है। नरसिंहानंद भी हरिद्वार मामले में जमानत पर बाहर है।
भीड़ को संबोधित करते हुए, नरसिंहानंद ने यह भी कहा कि अगर भारत में मुस्लिम पीएम बना तो 40% हिंदू मारे जाएंगे। यह हिंदुओं का भविष्य है। यदि आप इसे बदलना चाहते हैं, तो मर्द बनो। कोई है जो सशस्त्र है।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि आयोजकों को कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं थी। प्रीत सिंह के ट्विटर अकाउंट के मुताबिक, इस साल 4 जनवरी से इस इवेंट की प्लानिंग की गई थी।
इस बीच कार्यक्रम को कवर करने गए कुछ पत्रकारों ने आरोप लगाया कि नरसिंहानंद के समर्थकों ने उन्हें पीटा। उनमें से कुछ ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें दिल्ली पुलिस ने कार्यक्रम स्थल से हिरासत में लिया और मुखर्जी नगर पुलिस स्टेशन ले जाया गया। हालांकि दिल्ली पुलिस ने इस आरोप से इनकार किया है। पुलिस का कहना है कि कुछ पत्रकारों ने स्वेच्छा से भीड़ से बचने के लिए कार्यक्रम स्थल पर तैनात पीसीआर वैन में बैठ गए और सुरक्षा कारणों से पुलिस स्टेशन जाने का विकल्प चुना। किसी को हिरासत में नहीं लिया गया। उचित पुलिस सुरक्षा प्रदान की गई थी।
अपनी राय बतायें