भारत के इतिहास में मुहम्मद शाह रंगीला का शासन काल (1719 -1748) ग़ैर ज़िम्मेदार शासन का सबसे अजीबोगरीब उदाहरण है। इसी के शासन काल में दिल्ली पर नादिर शाह नाज़िल हुआ था। दिल्ली शहर में क़त्लो-गारद भी इसी के दौर में हुआ था। कहते हैं कि जब दिल्ली शहर में लूटमार मची थी तो मुहम्मद शाह रंगीला इसलिए नाराज़ हो गया कि लाल क़िले के आसपास मारकाट कर रहे हमलावरों के घोड़ों की टाप से उसकी महफ़िल में बज रहे तबलों की आवाज़ डिस्टर्ब हो रही थी। ऐसी बहुत सारी कहानियाँ उसके बारे में बताई जाती हैं। दिल्ली के हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह के पास उसको दफ़न किया गया था। लाल गुम्बद के नाम से उसकी कब्र आज भी पहचानी जाती है। यह आजकल दिल्ली गोल्फ कोर्स के कंपाउंड के अन्दर है।
जन्माष्टमी: नज़ीर अकबराबादी ने नज़्म लिखी - तुम भी ‘नज़ीर’ किशन बिहारी की बोलो जै
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- 11 Aug, 2020

आगरा में नज़ीर अकबराबादी ने उर्दू और ब्रजभाषा में जो कुछ भी लिखा वह इतिहास की धरोहर है। कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर उनकी वह नज़्म नक़ल कर रहा हूँ जिसको मैं बहुत पसंद करता हूँ। कविता थोड़ी लम्बी है लेकिन हर शब्द में माखनचोर कृष्ण की शान का अक्स नज़र आता है-