तक़रीबन 20 साल पहले देहरादून में पोस्टिंग के दौरान हमारे सीनियर और दोस्त मरहूम तेजिन्दर सिंह गगन ने एक कहानी का ज़िक्र किया था। कहानी थी 'शामिल बाजा' जो उनके कथाकार साथी शशांक ने लिखी थी। गगन ने हमें शामिल बाजा का मतलब ये समझाया था कि बारातों में बजने वाले ब्रास बैंड में एक 'डमी' बाजा होता है जिसका कोई राग नहीं होता। बस ज़ोर से फूंक मारने पर एक ही स्वर निकालता है और उसकी ब्रास बैंड में महज़ एक शिरकत भर होती है। तेजिन्दर गगन ने ये भी बताया कि अक्सर ये बाजा ट्रेनीज़ के हवाले होता है जो अमूमन बच्चे होते हैं। इस लिहाज़ से बाजे के साथ शामिल बच्चों को भी 'शामिल बाजा' कहा जाना चाहिए!
बैंड, बाजा, बारात...
- विविध
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- 2 Aug, 2023

शादियों में बैंड के रूप भी लगातार बदल रहे हैं। जानिए, किस तरह से अलग-अलग रूप में बैंड का इस्तेमाल हुआ और अब किस रूप में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।
बात आई गई हो गई। हम दिल्ली चले आए और गगन अहमदाबाद, चेन्नई चले गए। बीच में उनसे कई बार मिलना हुआ। फ़ोन पर बातें होती रहीं पर 'शामिल बाजा' का कभी कोई ज़िक्र नहीं हुआ।
लेकिन इस दौरान 'शामिल बाजा ' बराबर हॉन्ट करता रहा! जब कभी भी किसी बारात में गए या छज्जे पर खड़े होकर सड़क पर जाती किसी बारात को देखा तो आंखें 'शामिल बाजा' को बराबर तलाशती रहीं!