साम्प्रदायिक विभाजन के इस दौर में बंगाल का बाउल लोक संगीत सुनना एक आध्यात्मिक उंचाई को छू लेने की तरह है। बाउल संगीत सम्राठ पूर्ण चन्द्र दास का अंदाज़ तो एक अलौकिक दुनिया में ले जाता है। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पच्चीसवें रंग महोत्सव में पूर्ण चन्द्र दास ने अपनी गायन शैली और आवाज़ से लोक संगीत का एक अनूठा रंग प्रस्तुत किया। पूर्ण चन्द्र दास अब 91 वर्ष के हो चुके हैं। लेकिन अब भी उनका ओज बरक़रार है। रंग महोत्सव में उनकी मंडली ने "मोनेर मानुष" शीर्षक से एक अद्भुत रचना पेश की।