उत्तर भारत और पूर्वोत्तर के इलाक़े में भूंकप यानी धरती के डोलने-थरथराने का सिलसिला नया नहीं है। लेकिन पिछले कुछ समय से यह सिलसिला बेहद तेज़ हो गया है। इस इलाक़े के किसी न किसी हिस्से में आए दिन भूकंप के झटके लग रहे हैं। पिछले साल मई और जून के महीने में कुल 14 मर्तबा भूकंप के झटकों ने दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र एनसीआर के साथ ही हरियाणा और पंजाब के एक बड़े हिस्से को भयाक्रांत किया था। हालाँकि उन सभी झटकों की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 2.0 से 4.5 तक थी, लेकिन इस बार 12 फ़रवरी की रात 6.3 की तीव्रता वाले भूकंप के झटकों ने दिल्ली-एनसीआर समेत समूचा उत्तर भारत काँप उठा।

उत्तर भारत और पूर्वोत्तर के इलाक़े में भूंकप यानी धरती के डोलने-थरथराने का सिलसिला नया नहीं है। लेकिन पिछले कुछ समय से यह सिलसिला बेहद तेज़ हो गया है।
भूकंप के ये झटके रात 10 बजकर 34 मिनट पर दिल्ली-एनसीआर, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर समेत समूचे उत्तर भारत में महसूस किए गए। हालाँकि भूकंप से किसी भी तरह के जान-माल के नुक़सान नहीं हुआ लेकिन झटके इतने तेज़ थे कि घबराकर कई इलाक़ों में लोग घरों से बाहर निकल आए। भूकंप का केंद्र ताजिकिस्तान में था, ज़मीन से 74 किलोमीटर नीचे। भूकंप के झटके सिर्फ़ भारत में नहीं बल्कि पड़ोसी देशों पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान में भी महसूस किए गये।
भूकंप के लिहाज से दिल्ली को हमेशा ही संवेदनशील इलाक़ा माना जाता है।