सुप्रीम कोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई का कहना है कि नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) शुद्ध राजनीतिक खेल के विषय हैं। तमाम तरह के आरोपों और विवादों से घिरे और सेवानिवृत्ति के तत्काल बाद राज्यसभा के सदस्य मनोनीत कर दिए जस्टिस गोगोई ने एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में यह बात भले ही अपने को ऊंचे नैतिक धरातल पर खड़ा दिखाने के मकसद से कही हो, मगर हकीकत यही है कि सीएए और एनआरसी केंद्र सरकार के लिए ध्रुवीकरण की राजनीति का हिस्सा ही हैं।

नागरिकता क़ानून अभी सरकार की प्राथमिकता में नहीं है। इस क़ानून को पारित कराने के पीछे सरकार का मकसद सिर्फ देश के एक समुदाय विशेष को चिढ़ाना और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को तेज करना था।
विपक्षी दलों की तमाम आशंकाओं और आपत्तियों को नजरअंदाज तथा व्यापक जन विरोध का दमन करते हुए केंद्र सरकार ने सितंबर 2019 में सीएए को संसद से पारित कराया था और उसी महीने राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी भी दे दी थी। उसके बाद करीब डेढ़ साल में अब तक सरकार इस क़ानून को लागू करने संबंधी नियम ही नहीं बना पाई है।