डॉ. वेदप्रताप वैदिक की अनुपस्थिति को 14 मार्च को एक साल पूरा हो गया। महानगर में तब्दील हो चुका उनका इंदौर शहर अपने जिन शानदार पुरखों और आत्मीयजनों को लगातार याद करता रहता है डॉ. वैदिक भी उनमें शामिल हो गए। डॉ. वैदिक अपनी सारी लड़ाइयां दिल्ली में लड़ते रहते थे पर उनका दिल मालवा में बसा रहता था। वे कहते नहीं थकते थे कि उन्हें इंदौर और मालवा जैसा सुख दिल्ली में नहीं मिलता।