मामला क्या है?
माना जाता है कि यह कार्रवाई 29 अक्टूबर को 'ख़ुदाई ख़िदमतगार' संस्था के कार्यकर्ताओं द्वारा मथुरा स्थित नन्द बाबा के मंदिर में नमाज़ पढ़े जाने के विरोध में की गई हैं।कौन है फ़ैज़ल ख़ान?
2018 में जाने-माने प्रवचनकर्ता मुरारी बापू ने उन्हें अपने आश्रम महुआ बुलाकर सद्भावना पर्व पर पुरस्कृत किया था और अपनी सभा में बोलने का मौका भी दिया था। फ़ैज़ल ख़ान से रामचरित मानस के दोहे व चौपाई सुनकर मुरारी बापू इतने गदगद हो गए कि उन्होंने कहा कि वे एक दिन फ़ैज़ल ख़ान द्वारा जामिया मिल्लिया के निकट ‘ग़फ़्फ़ार मंजिल’ में स्थापित ‘सबका घर’ देखने जरूर आएंगे।फ़ैज़ल ख़ान मसजिद में नमाज़ अदा करते हैं, तो मंदिर में प्रसाद ग्रहण कर पुजारी से आशीर्वाद भी लेते हैं। लोगों के बीच में शांति और सौहार्द्र बना रहे, इसके लिए उन्होंने देश के भीतर तो यात्राएं की ही हैं, देश के बाहर भी वह गए हैं।
सर्वधर्म समभाव
दोनों देशों के बीच भाईचारे के उद्देश्य से की गई उनकी बहुचर्चित भारत (दिल्ली) से पाकिस्तान (मुल्तान) यात्रा का दोनों देशों की जनता ने ज़बरदस्त स्वागत किया था। इस यात्रा में देश के अनेक प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल थे। पिछले वर्ष उन्होंने अयोध्या में ‘सरयू आरती’ में भी हिस्सा लिया।
मंदिर में क्या हुआ?
इस मंदिर में फ़ैज़ल ख़ान ने कई बार आ कर नमाज़ अदा की है। इस मंदिर में दलित समेत सभी जातियों और धर्मों के मानने वाले का स्वागत होता है। इस मंदिर में लंगर का आयोजन भी होता है, जिसकी संचालन समिति के अध्यक्ष फैजाबाद के दानिश अहमद हैं।फैज़ल ने देश भर में घूम-घूम कर सीमांत गाँधी ख़ान अब्दुल ग़फ़्फ़ार ख़ान के संगठन 'ख़ुदाई ख़िदमतगार' को पुनर्गठित किया है। महात्मा गाँधी के शिष्य और 'भारत रत्न' सीमांत गाँधी ने इस संगठन को सर्व धर्म सम भाव के चिंतन के आधार पर खड़ा किया था।
मंदिर में नमाज़ का सच
'परिक्रमा' पूरी करके ये लोग विभिन्न मंदिरों में अभ्यर्थना करते और स्थानीय पुरोहितों और मंदिर में मौजूद भक्त जनों आदि के समक्ष अपनी यात्रा का उद्देश्य बताते हुए 29 अक्टूबर को नंदगांव के प्रसिद्ध 'नन्द बाबा मंदिर' में पहुंचे। फ़ैज़ल ने मीडिया को बताया किविवाद क्यों?
यहां तक सब ठीक था। बाहर निकल कर ‘सर्वधर्म समभाव’ के इन आस्थावानों ने मंदिर के सेवायतों की इस 'ऊंची' सोच की प्रशंसा की नीयत से नमाज़ की अपनी तसवीरों को सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। इस वीडियो में मंदिर के सेवायतों से हुई उनकी धार्मिक चर्चा, सेवायतों से प्रसाद ग्रहण करना तथा सेवायतों द्वारा उनसे नमाज़ मंदिर प्रांगण में कर लेने की बात कहने के ब्यौरे दर्ज़ हैं।सोशल मीडिया पर 3 दिन तक मंदिर परिसर के 'अपवित्र' होने और उसे पवित्र करने की नियत से गंगाजल से धोने आदि की तसवीरें आदि चलती रहीं।
उधर इसकी प्रतिक्रियास्वरूप कई मुसलिम कठमुल्लावादी संगठनों के सोशल नेटवर्क पर भी फ़ैज़ल और उनके संगठन पर 'इसलाम को नष्ट किये जाने' के आरोप की टिप्पणियां वायरल हुईं।
दबाव में सेवायत
मथुरा-वृन्दावन के कथित संत समाज ने 'नन्द बाबा मंदिर' के सेवायतों को इस 'जघन्य अपराध' के लिए कस कर धमकाया और कठोर दबाव डाला। तीसरे दिन यानी 1 नवंबर की रात 'मंदिर' के सेवायत कान्हा, मुकेश और शिवहरि गोस्वामी की तहरीर के आधार पर पुलिस थाना बरसाना में सब इन्स्पेक्टर दीपक कुमार पांडेय की ओर से एफआईआर दर्ज़ करवाई गई।इन लोगों ने पुलिस को बताया कि फ़ैज़ल आदि ने रसखान, मीरा आदि की हमसे चर्चा की जो उनका भक्त होना दर्शाती थी। राजभोग का समय हो जाने पर हम लोग मंदिर के गर्भगृह में चले गए, इसी बीच इन्होने नमाज़ पढ़ फोटो को वायरल कर दिया।
पीएफ़आई से जुड़े तार?
सोमवार 2 अक्टूबर को 'न्यूज़ 24 टीवी चैनल के जरिये इस प्रकरण को एक नया रूप देने की कोशिशें चलती रहीं। सारे दिन यह ख़बर चलाई गई की मंदिर और ‘हिन्दू आस्थाओं का विनाश’ करने वाले इन लोगों को मथुरा में जिस संगठन ने आमंत्रित किया, उसके संयोजक के तार 'पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया' (पीएफआई) से जुड़े हुए हैं। वस्तुतः 'क़ौमी एकता संगठन' नामक उक्त संस्था के संयोजक मधुवन दत्त चतुर्वेदी की गिनती मथुरा के वरिष्ठ वकीलों में होती है।पीएफआई’ से तार जुड़े होने के आरोप के बारे में पूछे जाने पर उनका कहना है कि “अदालत में मुज़रिम की पैरोकारी करना मेरा पेशा है। उसका धर्म और राजनीति से कोई ताल्लुक़ नहीं। यह आरोप शरारतपूर्ण और राजनीति से प्रेरित है।“
पुलिस की कार्रवाई
आश्चर्यजनक बात यह है कि मथुरा पुलिस ने गांधीवादी 'ख़ुदाई ख़िदमतगार' संस्था के सचिव फ़ैज़ल खान को दिल्ली जाकर गिरफ़्तार किया। पुलिस ने उन पर विदेशी फंडिंग का संदेह, आईपीसी की गंभीर धाराओं- 153ए (विभिन्न समुदायों में शत्रुता को बढ़ावा देना), 295 (धार्मिक स्थल पर उत्पात करके धार्मिक भावनाएं भड़काना), 505 (सार्वजानिक क्षति) के तहत मुक़दमा दर्ज़ किया। 3 नवम्बर को मामले में आईपीसी की धाराएं 419 (प्रतिरूपण द्वारा छल), 420 (धोखाधड़ी), 453 (दूसरे के घर में दाखिल होना), 468 (धोखे के लिए कूटरचना) व 470 (धोखाधड़ी के दस्तावेज तैयार करना) बढ़ा दी गई हैं। इसके चलते 14 दिन की न्यायिक हिरासत में उन्हें जेल भेज दिया गया।गोवर्धन की बरसाना रोड स्थित ईदगाह में ज़बरन हनुमान चालीसा पढ़ने वाले 4 नवयुवकों को पुलिस ने सीआरपीसी की मामूली धारा 151 (शांति भंग का अंदेशा) के तहत एसडीएम की अदालत में पेश किया, जहाँ पुलिस द्वारा किसी प्रकार की आपत्ति न दर्शाने पर उन्हें निजी मुचलकों पर छोड़ दिया गया।
शिवानंद सरस्वती ने क्या कहा?
बहरहाल धार्मिक सद्भाव के एक सहयात्री को जिस तरह से बदनीयती के आरोप में घेरा गया है, वह दुखद है। फ़ैज़ल की गिरफ़्तारी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए हरिद्वार स्थित 'मातृसदन' के प्रमुख स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि इस तरह से हिन्दू धर्म को अज्ञानता में धकेल देना दुखद है। 'सत्य हिंदी' से बातचीत में उन्होंने कहा,“
"अव्वल तो फ़ैज़ल का परमीशन लेकर प्रार्थना करने का बयान वीडियो से स्पष्ट है। यदि उन्होंने बिना परमीशन के भी प्रार्थना की होती तो वैदिक धर्म इतना व्यापक है कि किसी पवित्र जगह पर किसी सुप्रीम लार्ड की आराधना करने को ग़लत कार्य नहीं मानता।"
स्वामी शिवानंद सरस्वती, 'मातृसदन' के प्रमुख
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