उत्तर प्रदेश में (मंगलवार को) 7 विधानसभा सीटों पर पड़ने वाले वोट किसके पक्ष में होंगे? इस सवाल का जवाब देने के लिए बीजेपी नाक को सीधे पकड़ने की बजाय उल्टा पकड़ना चाहेगी। अपने साढ़े तीन साल के शासन में क़ानून-व्यवस्था की पिद्दी हालत ने उसे अपने पक्ष में मिलने वाले वोटों की उम्मीदों से तो महरूम कर दिया है, अलबत्ता अब उसकी नज़र इस बात पर टिकी है कि (हर सीट पर) विपक्षी दलों को कितने ज़्यादा वोट मिल पाते हैं?
यूपी उपचुनाव: योगी लोकप्रिय या अलोकप्रिय?
- उत्तर प्रदेश
- |
- |
- 4 Nov, 2020

7 सीटों के ये उपचुनाव तय करेंगे कि योगी सरकार की लोकप्रियता बढ़ी है या अलोकप्रियता। इससे यह भी तय होगा कि क्या जाटव मतदाता का मायावती की अजीबोग़रीब घोषणाओं से मोहभंग हुआ है या नहीं। और क्या वह नए विकल्पों की ओर आकर्षित हो रहा है? साथ ही अल्पसंख्यक मतदाता उनके कितना पक्ष में है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके मैनेजरों की गणना में प्रत्येक विधानसभा में जितने ज़्यादा वोट विरोधी दलों को मिलेंगे (और बंटेंगे) उतना ज़्यादा बीजेपी की जीत को सुनिश्चित करेंगे। ऐसे में टूंडला (फ़िरोज़ाबाद) में कांग्रेस प्रत्याशी के नामांकन के खारिज हो जाने से वे चिंतित हैं तो बुलंदशहर में एक नए विपक्षी (चंद्रशेखर आज़ाद की 'आज़ाद समाज पार्टी') की ‘चमकदार’ उदय ने उसे बड़ी राहत दी है।