त्रिपुरा में 'राजनीतिक हिंसा' से बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी की छवि को कितना नुक़सान हो रहा है? बीजेपी के विधायकों से बेहतर कौन जान सकता है! त्रिपुरा में बीजेपी विधायकों ने आशंका जताई है कि राज्य में राजनीतिक हिंसा ने पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिष्ठा को नुक़सान पहुंचाया है और इससे पाँच राज्यों में चुनावी नतीजों पर असर पड़ेगा।
राज्य में राजनीतिक हिंसा को लेकर बीजेपी विधायक सुदीप रॉय बर्मन और आशीष कुमार साहा ने मंगलवार को मीडियाकर्मियों से कहा, 'पैराट्रूपर नेता अपने निजी एजेंडे और बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के बीच अपनी लोकप्रियता के लिए माकपा से बीजेपी में आए गुंडों का इस्तेमाल उत्सव की तरह मनाए जाने वाले चुनाव को खौफ के माहौल में बदलने के लिए कर रहे हैं। उनके दिन गिनती के हैं।'
हालाँकि दोनों विधायकों ने किसी का नाम लेकर यह हमला नहीं किया, लेकिन समझा जाता है कि वे बीजेपी नेता और राज्य के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब पर निशाना साध रहे थे।
उनका यह बयान तब आया है जब त्रिपुरा में हाल में कई जगहों पर हिंसा हुई थी। तृणमूल कांग्रेस राज्य में विस्तार में लगी और वह आरोप लगाती रही है कि टीएमसी को रैली व सभाएँ नहीं करने दी जा रही हैं और उसपर हमले किए जा रहे हैं।
त्रिपुरा में 25 नवंबर को नगर निकाय चुनाव होने हैं। माकपा, तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने अपने उम्मीदवारों को डराए और धमकाए जाने का आरोप लगाया है। माकपा ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।
त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य चुनाव आयोग को क्षेत्रों और मतदान केंद्रों की संवेदनशीलता की तत्काल समीक्षा करने और स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरी उपाय करने का निर्देश दिया।
इन्हीं हलचलों के बीच सुदीप रॉय बर्मन और आशीष कुमार साहा राजनीतिक हिंसा को लेकर मंगलवार को मीडियाकर्मियों से रूबरू हुए थे। उन्होंने कहा कि हमने रविवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा को अवगत कराया है। इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, इन नेताओं ने सवाल किया कि क्या बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले 44 महीनों में विकास किया है। उन्होंने कहा, 'त्रिपुरा में इतनी राजनीतिक हिंसा के बावजूद राज्य के गृह मंत्री ने कोई बयान नहीं दिया है। पुलिस शक्तिहीन औजार बन गई है। माकपा के गुंडे पार्टी में आ गए और उनका राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।'
बीजेपी नेताओं ने कहा, 'त्रिपुरा में चुनाव उत्सव जैसा है, लेकिन इस बार 25 नवंबर को होने वाले निकाय चुनावों में आतंक का राज है।'
बता दें कि बिप्लब देब के ख़िलाफ़ लंबे समय से कुछ विधायकों में असंतोष व्याप्त है। पिछले साल अक्टूबर में कम से कम 7 विधायक मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब को बदलने की माँग को लेकर दिल्ली में पहुँच गए थे। ये विधायक बिप्लब कुमार देब को 'तानाशाह', 'अनुभवहीन' और 'अलोकप्रिय' होने का आरोप लगा रहे थे। उन सभी विधायकों का नेतृत्व सुदीप रॉय बर्मन कर रहे थे। इस विरोध को तब शांत कराया जा सका था जब केंद्रीय नेतृत्व ने दखल दिया था।
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