अगले महीने होने वाले राज्य के विधानसभा चुनाव के लिए सीपीएम ने बुधवार (25 जनवरी) को त्रिपुरा की 60 विधानसभा सीटों में से 43 पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए
हैं। बाकी की 17 सीटें गठबंधन के दूसरे सहयोगियों के लिए छोड़ी गई हैं। जिसमें से 13
सीटों पर कांग्रेस पार्टी अपने उम्मीदवार उतारेगी। बाकी कि बची चार सीटों में से
तीन पर आरएसपी, सीपीआई और फॉरवर्ड ब्लॉक एक-एक
सीट पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। एक सीट मानवाधिकार कार्यकर्ता औऱ वकील पुरुषोत्तयम
राय बर्मन के लिए छोड़ी गई है, जो स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ेगें।
सीपीएम गठबंधन के दूसरे सहयोगियों
ने भी अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। एक दो दिनों में कांग्रेस भी अपने
उम्मीदवारों की घोषणा कर देगी।
संयोजक नारायण कर ने बताया
कि पार्टी ने 24 नए चेहरों को चुनावी मैदान में उतारा है। पूर्व
मुख्यमंत्री माणिक सरकार सहित आठ विधायकों को इस बार टिकट नहीं दिया गया है। लेकिन
वे पार्टी के मार्गदर्शन करते रहेंगे। राज्य के लिए योजनाओं और विजन के साथ चुनावी
घोषणापत्र जल्द ही जारी किया जाएगा।
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पार्टी की राज्य इकाई के सचिव
जितेंद्र चौधरी ने कहा कि माणिक सरकार ने अनुरोध के बावजूद चुनाव लड़ने से इनकार
कर दिया है। उन्होंने क्षेत्रीय संगठन तिप्रा मथा के साथ गठबंधन को असफल प्रयासों
के बारे में पूछे जाने पर कहा कि वाम मोर्चा त्रिपुरा को विभाजित करने वाले किसी
भी प्रस्ताव का समर्थन नहीं करेगा।
जितेंद्र चौधरी ने बताया कि
तिप्रा माथा सुप्रीमो प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा से बात की और उन्हें समझाने
की कोशिश की कि वाम मोर्चा राज्य के लोगों को सशक्त बनाने के लिए कि मोर्चा
त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र के लिए स्वायत्त जिला परिषदों (टीटीएएडीसी) को अधिक
शक्तियां और स्वायत्तता देने के पक्ष में है।
'ग्रेटर तिप्रालैंड' की मांग पर लिखित
समझौते के बिना किसी भी राजनीतिक दल के साथ गठबंधन नहीं करने की स्पष्टता के ठीक एक
दिन बाद, तिप्रा मथा पार्टी के प्रमुख
प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा के नेतृत्व में तिप्रा मथा के प्रतिनिधिमंडल ने
बुधवार को नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बातचीत शुरू की। इस
बैठक में पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन (एनईडीए) के प्रमुख और असम के मुख्यमंत्री
हिमंत बिस्व सरमा भी मौजूद थे।
अलग राज्य ग्रेटर तिप्रालेंड
की मांग कर रही तिप्रा मथा को राज्य की सत्तारुढ़ भाजपा के लिए चुनौती माना जा रहा
है। तिप्रा मथा जिसका ध्यान मुख्य रूप से 20 आदिवासी बहुल सीटों पर है (60 में से)
ने भाजपा की सहयोगी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) से भी गठबंधन
के लिए संपर्क किया और राज्य में एक साथ चुनाव लड़ने के लिए विलय या गठबंधन बात
की।
वर्तमान में त्रिपुरा में
मानिक साहा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार है जो 2018 के विधानसभा चुनावों में 20
साल से सरकार चला रहे माणिक सरकार के नेतृत्व वाली वाम मोर्चे की सरकार को हराकर
सत्ता में आई थी। यह भाजपा की उत्तर पूर्व के राज्यों मे पहली सरकार है। जिसे वह खोना
नहीं चाहती। अगर भाजपा तिप्रा मथा की मांग को मान लेती है और अलग राज्य का वादा
करती है तो यह उत्तर पूर्व की राजनीति में बड़ा कदम होगा। इसके बाद से मेघालय जैसे
राज्य भी इस मुद्दे को लेकर दवाब बना सकते हैं।
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