पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी की गाड़ी पर त्रिपुरा में सोमवार को हमला किया गया। अभिषेक ने हमले का वीडियो ट्वीट किया है। वीडियो में दिख रहा है कि बीजेपी के कार्यकर्ता सड़क किनारे खड़े हैं और उनके ख़िलाफ़ नारेबाज़ी कर रहे हैं। इसी दौरान कई लोग लाठियों से गाड़ी पर वार करते हैं और सामने के एक शीशे पर भी लाठी जोर से पड़ती है।
इस हमले की जिम्मेदारी कौन लेगा। इस पर विस्तार से बात करनी होगी।
पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव से पहले जब बीजेपी के नेता राज्य में जाते थे, तब कई बार नेताओं के काफिलों पर हमला हुआ था। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफ़िले पर भी हमला हुआ था। तब ऐसे मामलों में बीजेपी सीधे ममता सरकार को दोषी बताती थी और कहती थी कि वहां की पुलिस हमला करने वालों को संरक्षण दे रही है।
Democracy in Tripura under @BJP4India rule!
— Abhishek Banerjee (@abhishekaitc) August 2, 2021
Well done @BjpBiplab for taking the state to new heights. pic.twitter.com/3LoOE28CpW
बीजेपी के नेता कोलकाता से लेकर दिल्ली तक प्रेस कॉन्फ्रेन्स करते थे और पूरी पार्टी ट्विटर पर बमबारी कर देती थी। तब वह यह बताती थी कि पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र ख़तरे में है लेकिन त्रिपुरा में इस तरह की हरक़तों से क्या लोकतंत्र सुरक्षित हो गया है, इसका जवाब देने के लिए वह आगे आएगी?
बीजेपी नेताओं से ज़्यादा सक्रिय राज्यपाल जगदीप धनखड़ रहते थे। धनखड़ लगातार कहते थे कि राज्य में तानाशाही का आलम है और क़ानून व्यवस्था ख़त्म हो रही है। लेकिन अब त्रिपुरा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य जो राजनीतिक जीवन में बीजेपी से जुड़े रहे, क्या इस घटना के लिए अपनी सरकार के कान एठेंगे।
त्रिपुरा में बीजेपी के नेतृत्व में सरकार चल रही है। अगर बंगाल में बीजेपी नेताओं के काफ़िले पर हमले के लिए ममता सरकार जिम्मेदार थी तो यहां अभिषेक बनर्जी के काफ़िले पर हमले की जिम्मेदारी किसकी होगी। इस सवाल का जवाब किसी और को नहीं बल्कि बीजेपी नेताओं को ही देना चाहिए।
पीके के लोग हाउस अरेस्ट
हमले के अलावा एक और घटना है, जिसके बारे में बीजेपी नेताओं को जवाब देना चाहिए। कुछ दिन पहले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की टीम के 23 लोगों को त्रिपुरा की राजधानी अगरतला के एक होटल में हाउस अरेस्ट कर दिया गया था। टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा था कि ऐसा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर किया गया। ममता ने अपने दिल्ली दौरे के दौरान पत्रकारों से इस बात को कहा भी था।
प्रशांत किशोर की टीम त्रिपुरा में चुनावी सर्वे कर रही है। ऐसे में उनकी टीम के लोगों को हाउस अरेस्ट क्यों किया गया, इस सवाल का जवाब कौन देगा।
अभिषेक बनर्जी ने अपने ट्वीट में लिखा है कि त्रिपुरा में बीजेपी के शासन में लोकतंत्र ख़तरे में है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा है कि राज्य के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब इसे नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं।
त्रिपुरा टीएमसी के नेता आशीष लाल सिंह ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा कि जब टीएमसी के कार्यकर्ता अभिषेक बनर्जी के स्वागत के पोस्टर लगा रहे थे, तब भी उन पर हमला किया गया। कई जगहों पर टीएमसी के पोस्टर्स को फाड़ दिया गया।
विस्तार की कोशिश में ममता
ममता की कोशिश बंगाल के बाहर भी पार्टी का मजबूत कैडर खड़ा करने की है और इसके संकेत वह बीते दिनों में कई बार दे चुकी हैं। पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के बाद टीएमसी अब 2023 के मार्च में होने वाले त्रिपुरा के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करना चाहती है।
मुकुल राय को सौंपा जिम्मा
पश्चिम बंगाल की ही तरह त्रिपुरा में भी बीजेपी के असंतुष्टों को टीएमसी में लाने का काम मुकुल राय को सौंपा गया है। मुकुल राय पहले भी पूर्वोत्तर में टीएमसी की जड़ें जमाने का काम कर चुके हैं।
मुकुल राय ही 2016 में त्रिपुरा में कांग्रेस के 6 विधायकों को तोड़कर टीएमसी में लाए थे और बाद में इन्हें बीजेपी में ले गए थे। मुकुल राय टीएमसी में वापसी के बाद त्रिपुरा में टीएमसी को मज़बूत करने के काम में जुट गए हैं।
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