फ्रांस के दंगों को देखिए और फिर भारत में दक्षिणपंथियों को देखिए। फ्रांस के दंगो को नस्लवाद से जोड़ कर उसकी खूब लानतमलामत होती है। दूसरी तरफ भारत में तमाम लोग यहां के अल्पसंख्यकों के सामान्य अधिकारों तक पर ऐतराज करते हैं। उन्हें सड़क पर प्रदर्शन करते किसान, मजदूर, छात्र भी पसंद नहीं हैं। लेकिन भगत सिंह, गांधी और अंबेडकर उनके आदर्श हैं। स्तंभकार अपूर्वानंद के इस लेख से दक्षिणपंथी कुछ सीख सकते हैं।