धरने पर हज़ारों महिलाएं
बता दें कि 14 फरवरी से लेकर 24 मार्च तक दिल्ली के शाहीन बाग इलाक़े में हज़ारों की तादाद में महिलाएं धरने पर बैठी रहीं। ये समान नागरिकता क़ानून का विरोध कर रही थीं। शुरू में इसमें इलाक़े की घरेलू महिलाएं ही थीं, पर बाद में उसमें दूसरी महिलाएं भी जुड़ती चली गईं। पर बाद में धीरे-धीरे इसका समर्थन कम होने लगा और 24 मार्च को आयोजकों ने कोरोना की वजह से बंद करने का एलान किया।भारद्वाज ने कहा है कि लोकतंत्र समर्थक लोग शाहीन बाग आन्दोलन से निश्चित रूप से 'खुद को ठगा हुआ' महसूस कर रहे होंगे क्योंकि बीजेपी इसकी सूत्रधार थी और 'आन्दोलन की डोर उसके हाथों में ही थी'।
मनीष सिसोदिया ने क्या ट्वीट किया था?
याद दिला दें कि दिल्ली के उप मुख्यमंत्री और 'आप' के बड़े नेता मनीष सिसोदिया ने एक बार ट्वीट कर कहा था कि वह 'शाहीन बाग के लोगों के साथ खड़े हैं', हालांकि बाद में उन्होंने उसे डिलीट भी कर दिया था।“
'बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने शाहीन बाग विरोध प्रदर्शन के हर कदम की पटकथा लिखी। उन्होंने ही तय किया कि कौन क्या कहेगा, कौन किस पर हमला करेगा और कौन किस पर पलटवार करेगा। सारी बातें पहले से सुनियोजित थीं।'
सौरभ भारद्वाज, प्रवक्ता, आम आदमी पार्टी
मोदी ने क्या कहा था?
याद दिला दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली चुनाव प्रचार के दौरान एक रैली में शाहीन बाग का मुद्दा ज़ोरों से उठाया और इसे साजिश क़रार दिया था। उन्होंने ज़ोर देकर कहा था कि शाहीन बाग का विरोध प्रदर्शन महज संयोग नहीं है, यह सोची समझी साजिश है।“
‘सीलमपुर हो, जामिया हो या शाहीन बाग, नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ कई जगह विरोध प्रदर्शन हुए हैं। क्या आपको लगता है कि यह महज संयोग है? ऐसा नहीं है। यह एक प्रयोग किया जा रहा है, जिसकी जड़ें राजनीति में हैं। यदि यह सिर्फ़ क़ानून के ख़िलाफ़ होता तो ख़त्म हो गया होता।’
नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
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