दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को यहां की एक अदालत में जहांगीरपुरी हिंसा से संबंधित चार्जशीट पेश की। पुलिस ने जहांगीरपुरी हिंसा को शाहीनबाग, सीएए, एनआरसी आंदोलन का विस्तार बता दिया है। इस चार्जशीट से स्पष्ट है कि दिल्ली पुलिस का इशारा कहां और किन लोगों की तरफ है। आपराधिक साजिश और शस्त्र अधिनियम सहित विभिन्न आरोपों के तहत 45 लोगों के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई। चार्जशीट में 2063 पेज हैं और मामले में गिरफ्तार किए गए 37 आरोपियों के साथ आठ फरार आरोपियों के बारे में पूरी जानकारी है।
चार्जशीट में कहा गया है कि कुल नौ हथियार, पांच जिंदा कारतूस, दो खाली कारतूस, नौ तलवारें और घटना के समय पहने और वीडियो में देखे गए 11 आरोपियों के कपड़े बरामद किए गए हैं।
पुलिस के अनुसार, जहांगीरपुरी की घटना 2019 और 2020 के सीएए और एनआरसी के खिलाफ शाहीन बाग और फरवरी 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के विरोध में थी, जो 10 अप्रैल को रामनवमी की घटनाओं के बाद और बढ़ गई। देश के अन्य हिस्सों में भी ऐसी घटनाएं हुईं। यानी दिल्ली पुलिस यह कहना चाहती है कि देश में रामनवमी और हनुमान जयंती पर जो भी साम्प्रदायिक घटनाएं हुईं उनका संबंध शाहीनबाग आंदोलन और दिल्ली दंगों से था।
बता दें 16 अप्रैल को उत्तर पश्चिमी दिल्ली के जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती जुलूस के दौरान झड़पें हुईं थीं। उस समय इलाके में तैनात इंस्पेक्टर को शिकायत मिलने के बाद जहांगीरपुरी थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी।
कुछ सवालों पर चार्जशीट मौन हैः दिल्ली पुलिस ने जिस तरह से जहांगीरपुरी हिंसा की चार्जशीट फाइल की है, अगर उस समय दर्ज एफआईआर को फिर से पढ़ा जाए तो एफआईआर में कही गई बातों का इस चार्जशीट में कोई संदर्भ नहीं है।
तो 16 अप्रैल की हिंसा में एफआईआर क्या कह रही है?अपने बयान में इंस्पेक्टर राजीव रंजन ने दावा किया कि हनुमान जयंती का जुलूस शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था, लेकिन जब यह सी-ब्लॉक मस्जिद के पास पहुंचा, तो लगभग पांच और लोगों के साथ एक व्यक्ति ने जुलूस में शामिल लोगों के साथ बहस करना शुरू कर दिया।
पुलिस कर्मियों ने अपने बयान में दावा किया कि दोनों ओर से पथराव हुआ। एफआईआर के मुताबिक धार्मिक जुलूस की सुरक्षा में लगी पुलिस ने दोनों समूहों को अलग कर दिया लेकिन कुछ समय बाद दोनों पक्षों के बीच झड़प हो गई।
घटना के तुरंत बाद, मामला स्थानीय पुलिस से अपराध शाखा को ट्रांसफर कर दिया गया था, और पुलिस ने उस समय कहा था कि 13 टीमों को आरोपियों की पृष्ठभूमि के विवरण को सत्यापित करने, तकनीकी विश्लेषण करने, वायरल वीडियो एकत्र करने, सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण करने और जांच के लिए तैनात किया गया था।
एफआईआर में दोनों तरफ से पथराव का जिक्र था, लेकिन अब उसका जिक्र गायब है। उस समय एक जुलूस को अवैध बताया गया था लेकिन उसका जिक्र भी अब नहीं है। जबकि उसमें बीजेपी नेताओं ने पुलिस से जबरन उस कथित जुलूस की अनुमति लेने की कोशिश की थी।
अब जब चार्जशीट सामने आई है तो उसमें सीएए, एनआरसी और शाहीनबाग आंदोलन से जोड़ दिया गया है। जहांगीरपुरी कांड में जिस तरह से आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी, उस समय विपक्षी नेताओं ने दिल्ली पुलिस पर आरोप लगाया था कि वो एकतरफा सिर्फ एक पक्ष के ही लोगों को गिरफ्तार कर रही है। पुलिस ने यूएपीए भी समुदाय विशेष के लोगों पर लगाया था। पुलिस की चार्जशीट बता रही है कि शाहीनबाग, सीएए और एनआरसी को इस मामले में लाकर वो क्या कहना चाहती है।
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