अब यह सिर्फ बाज़ार का फंडा नहीं रहा कि आकर्षक पैकेजिंग करो और फिर एग्रेसिव मार्केटिंग के साथ अपना माल ग्राहकों तक पहुंचा दो। अब ये राजनीति के भी मुख्य आधार हो गए हैं। ब्रांड मोदी और ब्रांड केजरीवाल दोनों इसके बड़े उदाहरण हैं। दूसरी तरफ पैकेजिंग और मार्केटिंग की सही रणनीति न बन पाने के कारण राहुल गांधी का जो हाल हो रहा है, वह भी सभी के सामने है।