नए संसद भवन में राजदंड यानी सेंगोल तो स्थापित कर दिया गया लेकिन क्या इसके साथ वो चोल शासन व्यवस्था भी लौटेगी जिसमें ब्राह्मण सर्वोच्च थे। क्या चोल वंश की तरह मंदिर वर्ष में सिर्फ एक बार अछूतों के लिए खुलेंगे, वो भी खुलेंगे या नहीं...इन्हीं सब सवालों पर वरिष्ठ पत्रकार त्रिभुवन की टिप्पणीः
हिंदू राष्ट्र का सपना देखने वाले सावरकर की जयंती पर सत्ता के कथित हस्तांतरण के प्रतीक ‘सेंगोल’ की प्राण-प्रतिष्ठा संविधानसम्मत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को लेकर अब संदेह पैदा कर रहा है।...वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग कह रहे हैं कि पुरानी संसद आज भी वास्तविक सत्ता हस्तांतरण और इतिहास की गवाह है, इसलिए इतिहास को सुरक्षित रखने के लिए पीएम मोदी विपक्ष को वो बिल्डिंग सौंप सकते हैं।
सेंगोल को राजदंड के रूप में नये संसद भवन में स्थापित करने के लिए बीजेपी की ओर से क्या-क्या दावा किया गया, लेकिन ये दावे कितने सच हैं? जानिए, आख़िर नेहरू को निशाने पर क्यों लिया गया।
सेंगोल की आलोचना को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भारतीय संस्कृति का अपमान बताया है। जबकि पीएम मोदी ने संसद को लोकतंत्र का मंदिर बताया है। इन्हीं दोनों बातों को आधार बनाते हुए पत्रकार पंकज श्रीवास्तव इसका जायजा ले रहे हैं।
नए संसद भवन के उद्घाटन पर जिस तरह के कर्मकांड हुए और पीएम मोदी को राजदंड दिया गया, जिसे उन्होंने नए संसद भवन में स्थापित कर दिया। चिन्तक, लेखक अपूर्वानंद ने एक और तस्वीर से इस कर्मकांड की तुलना की है। जानिएः
नए संसद भवन में सेंगोल स्थापित कर दिया गया है। सेंगोल स्थापित करने के बाद प्रधानमंत्री ने नए संसद भवन का स्पीकर ओम बिड़ला के साथ उद्घाटन किया। धर्मपुरम अधीनम के 21 साधु संतों ने कल यह राजदंड प्रधानमंत्री को सौंपा था। इस रिपोर्ट में कुछ वीडियो हैं, और फोटो हैं, जिन्हें पाठक गौर से देखें।
सचमुच बहुत शर्मनाक हालात हैं। नए संसद भवन का आज उद्घाटन हो रहा है और इस विशाल गणतंत्र का मुखिया ही इस कार्यक्रम से किनारे कर दिया गया है। संसदीय लोकतंत्र में इससे ज्यादा गिरावट और क्या हो सकती है। स्तंभकार वंदिता मिश्रा का विचारोत्तेजक नजरियाः
नया संसद भवन, सेंगोल विवाद की वजह से तमिलनाडु का धर्मपुरम अधीनम मठ भी चर्चा में आ गया है। इसके 21 साधु संत कल रविवार को उद्घाटन समारोह में पीएम मोदी के साथ मौजूद होंगे। लेकिन इस मठ से जुड़े विवाद को भी जानिए और यह मठ बीजेपी-आरएसएस के नेताओं के इतना करीब कैसे आया। सत्य हिन्दी की विशेष रिपोर्टः
नए संसद भवन में स्थापित किए जा रहे सेंगोल को लेकर देश में मीडिया का एक खास वर्ग ऐसा प्रस्तुत कर रहा है जैसे कोई बहुत बड़ा खजाना हाथ लग गया हो। लेकिन जो सत्य सामने आ रहा है, उससे सेंगोल की कहानी कुछ और है। पत्रकार पंकज श्रीवास्तव ने भी इस पर काफी कुछ तलाश किया हैः
क्या देश के मुद्दों पर बहस करना और देश के प्रधानमंत्री की जवाबदेही तय करना संसद का असली काम नहीं है? लेकिन क्या संसद अब यह सुनिश्चित कर रही है कि बहुमत की सरकार तानाशाह न बने, अल्पमत को न कुचले?
नये संसद भवन में 'सेंगोल' को स्थापित करने के लिए बीजेपी की ओर से जो तर्क दिया गया कि यह ब्रिटेन से भारत को सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक था, उसकी सच्चाई पर सवाल खड़ा किया गया है। जानिए कांग्रेस ने क्या संदेह जताया है।
नये संसद भवन के उद्घाटन से पहले सरकार और विपक्षी दलों के बीच मची घमासान के बीच आख़िर अमित शाह ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों की? जानिए, उन्होंने जवाहर लाल नेहरू का नाम क्यों लिया।