तीन दिन पहले कोई पूछता कि ये सेंगोल क्या है तो लोग या तो आसमान देखते या फिर पूछने वाले के सवाल पर हँसते। लेकिन इस वक्त पूरा देश सेंगोल के चंगुल में है। पूरा देश सब चीजों पर से ध्यान हटा कर इसी चर्चा में जुटा है कि अगर सेंगोल संसद में नहीं लगा तो हिंदू सभ्यता का कितना ह्रास होगा। ग़ैर-मुद्दे को छद्म राष्ट्रवाद का जामा पहनाकर लोगों को लगातार उसमें डुबकियाँ लगवाने के लिये मजबूर करना मोदी सरकार की ख़ासियत है। डरी और सम्मोहित मीडिया के ज़रिये निरंतर लोगों को असली मुद्दों से ध्यान भटकाने में माहिर। छद्म नैरेटिव बनाने में उस्ताद सरकार का ये नया खेल है ताकि नौ साल होने पर कोई ये सवाल न पूछें कि आम आदमी की आय क्यों कम होती जा रही है? महंगाई और बेरोज़गारी क्यों आसमान छू रही है? समाज को क्यों लगातार धर्म के नाम पर बाँटा जा रहा है? और प्रधानमंत्री के ऑस्ट्रेलिया में रैली करने से किसको फ़ायदा हो रहा है?