loader

नेहरू का अपमान कर सरकार को क्या मिलेगा? 

जिन लोगों के व्यक्तित्व ने मुझे अद्भुत तरीके से अभिभूत किया है, उनमें भगवान राम, अब्राहम लिंकन, महात्मा गांधी और डॉक्टर आंबेडकर सबसे ऊपर हैं। बल्कि गांधी का व्यक्तित्व ऐसा है कि उसमें तो मैं आलोचना का भी कोई तत्व नहीं पाता। गांधी ने जिस जवाहरलाल नेहरू को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाया था और कहा था कि मैं जब इस दुनिया में नहीं रहूंगा तो जवाहर मेरी भाषा बोलेगा, उस नेहरू में भी आलोचना के कई तत्व मिल जाएंगे। बावजूद इसके जवाहरलाल के व्यक्तित्व में सम्मोहन और विचारों में विशालता है।

एक जर्जर देश, जो जातियों और धर्मों के नाम पर बुरी तरह विभाजित था, उसकी आजादी और लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए हिंदुस्तान हमेशा नेहरू का एहसानमंद रहेगा। लेकिन नेहरू पर इतिहास का प्रेत साया ऐसा पड़ा है कि वो जब तब सत्ताधीशों को अपने बचाव का रास्ता देता रहता है। 

ताज़ा ख़बरें

नई संसद बन गई। बधाई हो। उसमें सेंगोल यानी राजदंड भी स्थापित हो गया। लोकतंत्र में राजदंड भी मुबारक हो। लेकिन इसमें नेहरू को घसीटा जाना? जैसा कि नए संसद भवन का उद्घाटन करने की पूर्व संध्या पर अपने सरकारी आवास पर तमिनलाडु से आए अधिनमों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि सेंगोल को प्रयागराज के आनंदभवन में टहलने वाली छड़ी के तौर पर प्रदर्शित किया गया था और उनकी सरकार इसे आनंद भवन से बाहर लेकर आई है।

पहली बात तो ये है कि वो सेंगोल आनंद भवन में नहीं बल्कि इलाहाबाद म्यूजियम में रखी हुई थी। दूसरी बात ये है कि उस म्यूजियम में इसे सुनहरी छड़ी यानी गोल्डन स्टिक के रूप में वर्णित किया गया है, ना कि टहलने वाली छड़ी यानी वॉकिंग स्टिक के रूप में। तीसरी बात जो पीएम की तरफ से नहीं बल्कि सरकारी विज्ञापनों की तरफ से आया कि वो सेंगोल माउंट बेटन की सलाह पर सत्ता हस्तांतरण के लिए आया था, वो गलत है। 
विचार से ख़ास

लोकतंत्र में सबसे बड़ा राजदंड स्वयं संविधान है। संविधान से ध्यान भटकाने के लिए आप चाहे कुछ भी कर लीजिए। लेकिन ऐसा लगता है कि हम सब एक घनघोर नाशुक्रेपन के दौर से गुजर रहे हैं। इसमें हम अपने आजादी के नायकों का भी सम्मान नहीं करना चाहते या कहें कि अपने पूर्वजों के लिए आदर का भाव नहीं है। अगर होता तो नेहरू के व्यक्तित्व पर जब तब कीचड़ नहीं उछाला जाता और उसके लिए असत्य का सहारा नहीं लिया जाता।

(विचित्रमणि राठौर के फ़ेसबुक पेज से साभार)

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
विचित्रमणि राठौर
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

विचार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें