रविवार, 28 मई ‘सावरकर जयंती’ के दिन नई संसद के उद्घाटन अवसर पर पवित्र ‘सेंगोल’ के साथ-साथ नरेंद्र मोदी ने अपने आपको भी देश के संसदीय इतिहास में हमेशा-हमेशा के लिए स्थापित कर लिया ! आगे आने वाले सालों में मोदी जब प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे, हरेक नई हुकूमत स्पीकर की कुर्सी के निकट स्थापित किए गये राजदंड की चमक में मोदी-युग के प्रताप और ताप को महसूस करती रहेगी।