'सेंगोल' पर फिर से विवाद हो गया है। यह विवाद तब हुआ जब समाजवादी पार्टी के एक सांसद ने सेंगोल को हटाने की मांग कर डाली। उन्होंने कहा कि इसकी जगह पर संविधान की प्रति रखी जाए। उन्होंने कहा कि देश संविधान से चलेगा, न कि राजतंत्र व महाराजाओं के प्रतीक सेंगोल से।
नए संसद भवन में सेंगोल को पिछले साल लोकसभा में स्पीकर की कुर्सी के बगल में स्थापित किया गया था। तब भी इसपर काफी विवाद हुआ था। बीजेपी ने दावा किया था कि यह ब्रिटिश और भारत के बीच सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में इसे सौंपा गया था। लेकिन कांग्रेस ने इन दावों को खारिज कर दिया था और कहा था यह साबित करने के लिए कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है।
तब पिछले साल मई में गृहमंत्री अमित शाह ने सेंगोल के संसद में स्थापित किए जाने की घोषणा करते हुए कहा था यह राजदंड अंग्रेजों से भारतीयों को सत्ता के हस्तांतरण को चिह्नित करने के लिए 14 अगस्त, 1947 को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को सौंपा गया था। गृहमंत्री ने कहा था कि इस राजदंड को 'सेंगोल' कहा जाता है जो तमिल शब्द 'सेम्माई' से आया है और जिसका अर्थ है 'नीति परायणता'। उन्होंने कहा कि यह सेंगोल पौराणिक चोल राजवंश से संबंधित है। शाह ने कहा था कि सेंगोल स्वतंत्रता और निष्पक्ष शासन की भावना का प्रतीक है।
अमित शाह के इस दावे के बाद कांग्रेस ने कहा था कि लॉर्ड माउंटबेटन, सी राजगोपालचारी और जवाहरलाल नेहरू के बीच 'सेंगोल' के बारे में ऐसा कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है।
इसी सेंगोल को अब हटाने की मांग करते हुए समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखा है। सांसद ने कहा है कि 'सेनगोल' की जगह संविधान की प्रति होनी चाहिए।
अपनी पार्टी के सांसद की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर अखिलेश यादव ने कहा, "जब 'सेंगोल' स्थापित किया गया था तो प्रधानमंत्री ने इसे प्रणाम किया था। लेकिन इस बार शपथ लेते समय वे इसे प्रणाम करना भूल गए। मुझे लगता है कि हमारे सांसद प्रधानमंत्री को इसके बारे में याद दिलाना चाहते थे। ...जब प्रधानमंत्री ही प्रणाम करना भूल गए तो इसका मतलब उनकी भी इच्छा कुछ और होगी।"
चौधरी की मांग का समर्थन राजद सांसद और लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती ने भी किया। उन्होंने कहा, "जिसने भी यह मांग की है, मैं उसका स्वागत करती हूं।" वरिष्ठ कांग्रेस नेता और सांसद बी मणिकम टैगोर ने एनडीटीवी से कहा, "हम इस बात को लेकर बहुत स्पष्ट हैं कि 'सेंगोल' राजसत्ता का प्रतीक है और राज-युग खत्म हो चुका है। हमें लोगों के लोकतंत्र और संविधान का जश्न मनाना चाहिए।"
इस बीच भाजपा ने विपक्ष पर 'सेंगोल' हमले को लेकर पलटवार किया है। उसने कहा, 'समाजवादी पार्टी ने पहले रामचरितमानस पर हमला किया और अब सेंगोल को गाली दी, जो भारतीय संस्कृति और विशेष रूप से तमिल संस्कृति का हिस्सा है। डीएमके को साफ़ करना चाहिए कि क्या वे सेंगोल के इस अपमान का समर्थन करते हैं।'
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है, 'समाजवादी पार्टी को भारतीय इतिहास या संस्कृति का कोई सम्मान नहीं है। सेंगोल पर उनके शीर्ष नेताओं की टिप्पणी निंदनीय है और उनकी अज्ञानता को दर्शाती है। यह विशेष रूप से तमिल संस्कृति के प्रति इंडी गठबंधन की नफरत को भी दर्शाता है। सेंगोल भारत का गौरव है और यह सम्मान की बात है कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने इसे संसद में सर्वोच्च सम्मान दिया।'
Samajwadi Party has no respect for Indian history or culture. The remarks of their top leaders on the Sengol are condemnable and indicate their ignorance. It also shows INDI Alliance's hatred to Tamil culture in particular.
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) June 27, 2024
The Sengol is India's pride and it is a matter of…
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