दिल्ली पहुंचने से पहले किसानों को पंजाब-हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डरों पर रोक दिया गया। किसान नेता शंभू बॉर्डर और खनौरी बॉडर पर बैठे हुए हैं। सरकार इस आंदोलन को कुचलने पर आमादा है, वरना किसानों पर रबड़ की गोलियां नहीं चलाई जातीं और किसान की मौत नहीं होती। लेकिन यह नया नहीं है। लेकिन सवाल है कि हम भारत के लोग इसे कब तक बर्दाश्त करेंगे। स्तंभकार वंदिता मिश्रा ने किसान आंदोलन के जरिए अपनी बात रखी हैः