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14 खरीफ फसलों की MSP मंजूर; पर क्या लागत ख़र्च निकल पाएगा?

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने खरीफ सीजन से पहले 14 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की मंजूरी दे दी है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को कैबिनेट ब्रीफिंग में बताया कि धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 117 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। उन्होंने दावा किया कि एमएसपी फ़सलों की लागत से 50 फ़ीसदी ज़्यादा है। हालाँकि, एक तथ्य यह भी है कि लागत तय करने को लेकर अक्सर विवाद होता रहा है और किसान फ़सलों की लागत की गणना स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों के अनुसार करने की मांग करते रहे हैं।

बहरहाल, अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को कृषि लागत एवं मूल्य आयोग यानी सीएसीपी की सिफारिशों के आधार पर 14 खरीफ फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य को मंजूरी दे दी। एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए अश्विनी वैष्णव ने इसकी घोषणा की। 

उन्होंने घोषणा की कि 2024-25 खरीफ सत्र के लिए सामान्य ग्रेड के धान का एमएसपी 5.35 प्रतिशत यानी 117 रुपये बढ़ाकर 2,300 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। ‘ए’ ग्रेड किस्म के लिए इसे बढ़ाकर 2,320 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में यह पहला कैबिनेट निर्णय है। कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी सामान्य किस्म के लिए 7,121 रुपये और दूसरी किस्म के लिए 7,521 रुपये कर दिया गया है। यह पिछले एमएसपी से 510 रुपये अधिक है। ज्वार के लिए एमएसपी 3,371 रुपये, रागी के लिए 4,290 रुपये, बाजरा के लिए 2,625 रुपये और मक्का के लिए 2,225 रुपये निर्धारित किया गया है। मूंग के लिए एमएसपी 8,682 रुपये, अरहर के लिए 7,550 रुपये और उड़द के लिए 7,400 रुपये तय किया गया है। मंत्री ने कहा कि सूरजमुखी और मूंगफली जैसे तिलहनों के लिए एमएसपी में भी वृद्धि देखी गई है।

धान के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी सरकार के पास अधिशेष चावल स्टॉक होने के बावजूद की गई है, लेकिन हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली जैसे राज्यों में चुनावों से पहले यह महत्वपूर्ण है।

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मंत्री ने कहा कि तिलहन और दलहन के लिए पिछले वर्ष की तुलना में एमएसपी में सबसे अधिक वृद्धि की सिफारिश की गई है। 

प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर पोस्ट में कहा, 'देशभर के अपने किसान भाई-बहनों के कल्याण के लिए हमारी सरकार निरंतर अहम कदम उठा रही है। इसी दिशा में आज कैबिनेट ने वर्ष 2024-25 के लिए सभी प्रमुख खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि को मंजूरी दी है।' 

अश्विनी वैष्णव ने कहा, '2018 के केंद्रीय बजट में भारत सरकार ने स्पष्ट नीतिगत निर्णय लिया था कि एमएसपी उत्पादन लागत का कम से कम 1.5 गुना होना चाहिए। आज का निर्णय इसी सिद्धांत के अनुरूप है। लागत का निर्धारण वैज्ञानिक तरीके से किया गया है और यह देश भर के विभिन्न जिलों और तहसीलों में कृषि लागत एवं मूल्य आयोग द्वारा किए गए अध्ययन पर आधारित है।'

किसानों की लागत की गणना कैसे की जाती है?

कृषि लागत एवं मूल्य आयोग यानी सीएसीपी द्वारा प्रत्येक फसल के लिये तीन प्रकार से अनुमान लगाया जाता है।

  • A2: इसके तहत किसान द्वारा बीज, उर्वरकों, कीटनाशकों, श्रम, पट्टे पर ली गई भूमि, ईंधन, सिंचाई आदि पर किये गए प्रत्यक्ष खर्च को शामिल किया जाता है।
  • A2+FL: इसके तहत ‘A2’ के साथ-साथ अवैतनिक पारिवारिक श्रम का एक मूल्य शामिल किया जाता है।
  • C2: यह एक अधिक व्यापक अवधारणा है क्योंकि इसके अंतर्गत ‘A2+FL’ में किसान की स्वामित्त्व वाली जमीन और अचल संपत्ति के किराए तथा ब्याज को भी शामिल किया जाता है।
स्वामीनाथन आयोग ने 'C2' की लागत में ही डेढ़ गुना यानी 50 फीसदी और जोड़कर ही फसल पर एमएसपी देने की सिफारिश की थी। लेकिन इस फॉर्मूले को कभी लागू ही नहीं किया गया।

अभी सीएसीपी फसलों पर जो एमएसपी तय करती है वो 'A2+FL' की लागत के हिसाब से तय करती है। इसी आधार पर दावा किया जाता है कि एमएसपी 'A2+FL' की लागत से ज्यादा ही दी जाती है। 

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बहरहाल, वैष्णव ने बताया कि अन्य निर्णयों के अलावा मंत्रिमंडल ने गुजरात और तमिलनाडु में 7,453 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ 1 गीगावाट की अपतटीय पवन ऊर्जा परियोजनाओं को मंजूरी दी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘महाराष्ट्र के वधावन में एक ऑल-वेदर ग्रीनफील्ड डीपड्राफ्ट मेजर पोर्ट के विकास’ को भी मंजूरी दी। पूरा होने पर, 76,200 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह बंदरगाह दुनिया के शीर्ष 10 बंदरगाहों में से एक होगा।

कैबिनेट ने वाराणसी में लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के विस्तार के लिए 2,869.65 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी दी।

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