अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते किसानों को क्या मोदी सरकार तवज्जो नहीं देना चाहती है? जगजीत सिंह डल्लेवाल का आमरण अनशन रविवार को 41वें दिन प्रवेश कर गया है। किसी मंत्री ने प्रदर्शनकारी किसानों के साथ वार्ता करने की जहमत नहीं उठाई है। जबकि 2020 के किसान आंदोलन में तो किसानों के प्रदर्शन के दौरान क़रीब चार महीने में ही तीन मंत्रियों की टीम 11 बार किसानों के साथ वार्ता कर चुकी थी। तो सवाल है कि इस बार ऐसा क्या हो गया कि सरकार उनसे बात तक नहीं कर रही?
मोदी सरकार ने इस बार प्रदर्शनकारी किसानों से दूरी क्यों बना रखी है?
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- सत्य ब्यूरो
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- 5 Jan, 2025
पिछले साल शुरू हुए किसान आंदोलन को क़रीब एक साल होने को आए, लेकिन इसको लेकर सरकार आख़िर बात करने से कतरा क्यों रही है? क्या इसने 2020 के आंदोलन से सीख लेकर यह रुख अपनाया है?

इस सवाल का जवाब ढूंढने से पहले इस किसान आंदोलन और इसके ताज़ा घटनाक्रमों के बारे में जान लीजिए। जुलाई 2022 में बीकेयू सिद्धूपुर के अध्यक्ष जगजीत सिंह डल्लेवाल ने एसकेएम से अलग होकर एसकेएम (गैर-राजनीतिक) का गठन किया था। डल्लेवाल पिछले साल 26 नवंबर से खनौरी में आमरण अनशन पर हैं और मांग कर रहे हैं कि केंद्र किसानों की मांगों को स्वीकार करे। विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने डल्लेवाल की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है।