पिछले साल शुरू हुए किसान आंदोलन को क़रीब एक साल होने को आया और किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन के 54 दिन बाद अब सरकार जागी है? जानिए, डल्लेवाल ने अब क्या फ़ैसला किया।
पिछले साल शुरू हुए किसान आंदोलन को क़रीब एक साल होने को आए, लेकिन इसको लेकर सरकार आख़िर बात करने से कतरा क्यों रही है? क्या इसने 2020 के आंदोलन से सीख लेकर यह रुख अपनाया है?
खनौरी सीमा पर किसान इतने महीनों से आंदोलन कर रहे हैं तो सरकार पर कोई असर क्यों नहीं पड़ रहा है? जानिए, किसानों की क्या मांग है और किस तरह से आंदोलन चल रहा है।
पंजाब-हरियाणा सीमा पर आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह की हालत चिन्ताजनक होती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उनकी हालत पर चिन्ता जताई। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अस्थायी अस्पताल में रखकर मेडिकल सुविधाएं देने का सुझाव दिया है। लेकिन हरियाणा सरकार किसानों को दिल्ली नहीं आने देना चाहती, बेशक दल्लेवाल की जान चली जाए।
एमएसपी की क़ानूनी गारंटी जैसी मांगें पूरी हुई नहीं हैं और सरकार एक और ऐसी नीति क्यों लाने की तैयारी में है जिस पर किसानों की आपत्ति है? जानिए, आख़िर सरकार का मंशा क्या है।
हरियाणा सीमा पर डटे किसानों ने फिर से 14 दिसंबर को अपना जत्था दिल्ली की ओर बढ़ाने की घोषणा की है। लेकिन सवाल है कि दो बार रोके जाने के बाद भी वे आख़िर कैसे आगे बढ़ेंगे? जानें किसानों की मांगें क्या हैं।
राकेश टिकैत बार-बार ऐसी घोषणाएं कर रहे हैं, जिनका अनुमोदन किसान संयुक्त मोर्चा नहीं करता। सवाल उठता है कि उनके इस रवैये से कहीं आंंदोलन के बारे में भ्रम तो नहीं फैल रहा, आंदोलन को नुकसान तो नहीं हो रहा? वरिष्ठ किसान नेता जगजीत डल्लेवाल से मुकेश कुमार की बातचीत