दल्लेवाल 26 नवंबर से पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी सीमा पर भूख हड़ताल पर हैं और केंद्र सरकार से फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी सहित किसानों की मांगों को मानने का आग्रह कर रहे हैं। दल्लेवाल की जांच करने के बाद फाइव रिवर एनजीओ से जुड़े डॉ. नवराज ने कहा कि भूख हड़ताल के कारण ब्लडप्रेशर कम होने से दल्लेवाल बेहोश हो गए। उन्हें तुरंत मालिश और इलाज किया गया, जिसके बाद उन्हें होश आ गया और फिलहाल उनकी हालत बेहद गंभीर है।
पंजाब में समाना के सीनियर सीएमओ डॉ. संजीव अरोड़ा ने बताया कि जगजीत सिंह दल्लेवाल की तबीयत दिन में काफी बिगड़ गई थी। उन्होंने बताया कि राजिंदर अस्पताल, पटियाला से एक मेडिकल टीम मौके पर पहुंची और उनके सेहत की जांच की।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत की अगुआई वाली बेंच ने पंजाब के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह से कहा, "हम चाहते हैं कि मुख्य सचिव और डीजीपी दोनों शुक्रवार को एक हलफनामा दायर करें जिसमें यह वचन दिया जाए कि आप उन्हें (दल्लेवाल) अस्थायी अस्पताल में भेजेंगे और सभी जरूरी मेडिकल सहायता लगातार देंगे।" एडवोकेट जनरल ने कहा कि वो इस संबंध में पंजाब सरकार से हलफनामा ले लेंगे।
एडवोकेट ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि किसान नेता का “ईसीजी सामान्य था...हमने खून के नमूने ले लिए हैं...रिपोर्ट मैंने अदालत को भेज दी है। मोटे तौर पर, ब्लड रिपोर्ट में सभी पैरामीटर सीमा के भीतर हैं...।'' सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दल्लेवाल की मेडिकल जांच नहीं कराने के लिए पंजाब सरकार की खिंचाई की थी।
एडवोकेट जनरल ने कहा, ''फिलहाल, ऐसा लगता है कि स्थिति हमारे नियंत्रण में है। उनके हार्ट की स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ा... ब्लड के नमूने की लगभग 20 जांच की गई। ... दो पैरामीटर मामूली रूप से असामान्य हैं।' इस पर जस्टिस कांत ने पूछा कि कौन सा हिस्सा असामान्य है, एडवोकेट जनरल ने कहा, “क्रिएटिनिन थोड़ा बढ़ा हुआ है। यूरिक एसिड हाई जिसके लिए दवा की जरूरत होती है। लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया है...कैंसर की स्थिति पर, हमने पाया है कि उनका पीएसए थोड़ा अधिक है लेकिन खतरनाक नहीं है।''
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि क्या सीटी स्कैन कराया गया था। कोर्ट ने एजी से दल्लेवाल को ऑफ-साइट अस्थायी अस्पताल में ट्रांसफर करने के लिए कहा। एडवोकेट जनरल ने बेंच से कहा, ''किसानों के थोड़े से सहयोग की शर्त पर हम ऐसा करने की कोशिश करेंगे।'' सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “हम चाहते हैं कि सबसे पहले उन्हें मेडिकल सहायता प्रदान की जाए। उस प्राथमिकता की अनदेखी क्यों की जा रही है? हम उनकी स्वास्थ्य स्थिति और सभी स्वास्थ्य मानकों के बारे में जानना चाहते हैं। ऐसा उसके कुछ परीक्षणों से गुजरने के बाद ही हो सकता है। किसी को भी हमें हल्के में नहीं लेना चाहिए।''
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