एमएसपी की क़ानूनी गारंटी सहित कई मांगों को लेकर किसानों द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन के बीच केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए 'नेशनल पॉलिसी फ्रेमवर्क ड्राफ्ट' क्यों जारी किया है? क्या इस नीति में उन तीन कृषि कानूनों के कुछ प्रावधान शामिल हैं जिन्हें मोदी सरकार को वापस लेना पड़ा था? क्या इस नीति का मक़सद कृषि क्षेत्र में निजी पूँजी को लाना और एमएसपी की उम्मीदों पर पानी फेरना है? इस ड्राफ़्ट को लेकर किसान कुछ ऐसे ही संदेह जता रहे हैं।
किसान आंदोलन के बीच 'नेशनल पॉलिसी फ्रेमवर्क ड्राफ्ट' क्यों आया?
- हरियाणा
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- 16 Dec, 2024

एमएसपी की क़ानूनी गारंटी जैसी मांगें पूरी हुई नहीं हैं और सरकार एक और ऐसी नीति क्यों लाने की तैयारी में है जिस पर किसानों की आपत्ति है? जानिए, आख़िर सरकार का मंशा क्या है।
इस मसौदे को लेकर किसानों में कैसी हलचल है, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर किसानों का मौजूदा प्रदर्शन किस हालत में है। किसान आंदोलन के नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल पंजाब-हरियाणा सीमा खनौरी बॉर्डर पर 20 दिन से भूख हड़ताल पर हैं। अब उनकी हालत चिंताजनक स्थिति में पहुंच गई है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने के प्रयास में, पिछले रविवार को केंद्र सरकार के अधिकारी मयंक मिश्रा, कृषि विभाग के निदेशक और पंजाब सरकार के शीर्ष अधिकारी डी.जी.पी. गौरव यादव स्थिति का जायजा लेने और वार्ता करने पहुंचे थे। बाद में आंदोलन में शामिल अन्य किसान संगठनों के नेताओं के साथ हुई बातचीत में इन अधिकारियों ने किसानों की मांगों को केंद्र सरकार तक पहुंचाने का आश्वासन दिया। केंद्रीय प्रतिनिधि मयंक मिश्रा ने मोर्चा के अन्य नेताओं से आग्रह किया कि वे जगजीत सिंह दल्लेवाल को चिकित्सा सहायता लेने और उनकी भूख हड़ताल समाप्त करने के लिए मनाने का प्रयास करें।